प्राची देवी का प्रवचन सुन भाव विभोर हुए श्रोता

सुखपुरा (बलिया)। क्षेत्र के करम्मर में चल रहे श्रीमद्भागवत  कथा के तीसरे दिन मंगलवार को कथावाचिका साध्वी प्राची देवी ने शंकर व सती के  लीला का वर्णन किया. जिसे सुनकर लोगों की आखें नम हो गई. कहा कि जब राजा दक्ष के घर सती का प्रादुर्भाव हुआ तो उसी समय सती ने राजा दक्ष से कह दिया कि अगर आप मेरा अपमान करेंगे तो मै अपना शरीर त्याग दूगीं. जब दक्ष यज्ञ करा रहे थे उसी बीच सती वहाँ चली गई. लेकिन उनको सम्मान नही मिला. सती अपने आप को अपमानित महसूस कर यज्ञ मण्डप मे सती हो गई. जब यह जानकारी भगवान शंकर को हुई तो वह आकर सती के शव को अपने साथ लेकर चले गये. राजा दक्ष को भगवान शंकर ने श्राप भी दे दिया. सती के मृत शरीर को भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से काट दिया. यह टुकड़ा जहां -जहां गिरा वहाँ भगवान विष्णु ने शक्तिपीठ की स्थापना किया. इसके बाद पार्वती व शंकर के विवाह का वर्णन भी प्राची देवी ने किया.

 कथा को आगे बढ़ाते हुए प्राची देवी ने कहा की भागवत के पांचवें अध्याय में लिखा है कि जो हमें शरीर मिला है वह भौतिक सुख के लिए नहीं मिला है. यह शरीर तपजप कर लोगों की भलाई  करने के लिए मिला है.आज की हमारी पीढ़ी भौतिक सुख में लिप्त है. पहले हमारा देश सोने की चिड़िया कहलाता था. क्योंकि हमारे पूर्वज भौतिक सुख नहीं बल्कि आध्यात्मिक सुख की ओर अग्रसर थे. हम पाश्चात्य संस्कृति की ओर बढ़ने लगे हैं. हम अपने संस्कार को भूलने लगे हैं. इसी कारण हमें कहीं शांति नहीं मिल रही है. आज के युवक अपने बूढ़े माता-पिता को कहीं ले जाने में शर्माते हैं. लेकिन कुत्ते को साथ लेकर चलने में अपनी शान समझते हैं. लोग गाय नहीं पालते, जो हमें दूध देती है. लेकिन लोग कुत्ते को एयर कंडीशन में रखकर  विदेशी बिस्कुट खिलाते हैं. आज हमारी संस्कृत बिगड़ती जा रही है. मां बाप के लिए आश्रम दिया जा रहा है. लेकिन कुत्ते को घर में रखा जा रहा है. यह कैसी विडंबना है. इस पर विचार करना पड़ेगा. अपने पुराने परंपराओं को प्रारंभ करना पड़ेगा. तब फिर हमारा देश सोने की चिड़िया बन सकेगा. इस मौके पर प्रमोद कुमार, सीताराम, अक्षय कुमार सिंह, चंदू सिंह,  शिवकुमार सिंह,  हरे राम प्रजापति,  द्वारिका राजभर, संग्राम सिंह,  राजेंद्र,  ओमप्रकाश लाल, शिवजी,  सीतादेवी,  पूनम राजभर,  सत्यनारायण यादव,  राजेश सिंह,  तेज बहादुर सिंह, विजय बहादुर सिंह आदि लोग मौजूद रहे.

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