​द्वाबा वासियों के बीच बहुचर्चित सड़क पर शुरू हुआ लेपन कार्य

बैरिया (बलिया)। बैरिया विधान सभा क्षेत्र के बहुचर्चित व अभिशप्त मानी जाने वाली सड़क पर मंगलवार से एक बार पुनः लेपन कार्य शुरू किया गया है. जबकि हो रहे कार्य को भी लोग सन्तोष जनक नहीं मान रहे है. पूर्व की भांति इसमें मानक के खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन का आरोप लगाया जा रहा है. गौर तलब है कि बैरिया बढ़ैया टोला से निकल कर सुदामा सिंह शिक्षक के घर होते हुये तहसील व मिश्र की मठिया को जोड़ने वाली सड़क द्वाबा वासियों में अभिशप्त सड़क मानी जाती है. यद्यपि कि रानीगंज व बैरिया से तहसील व उधर आगे के गांवो तक जाने के लिये यह सार्टकट मार्ग है. अभिशप्त करार दिये जाने के पीछे वजह यह है कि लगभग दो दशक पूर्व तत्कालीन विधायक विक्रमा सिंह के कार्यकाल में इस सड़क के लिये धन स्वीकृत हुआ. गिट्टी डालने का काम शुरू ही हुआ कि तत्कालीन सरकार चली गयी. गिट्टी डालकर ठेकेदार काम बन्द कर दिये. इस बीच के समय मे किसी ने इस सड़क के बारे में कोई काम नही किया. यह सड़क उदाहरण ही बन कर रह गयी. इस रास्ते लोगों का आना-जाना भी बहुत कह हो गया. लोग इसके निर्माण की मांग करते रहे. लेकिन किसी भी विधायक ने इस पर पहल नहीं किया. बहुत साल बाद सपा शासनकाल में तत्कालीन विधायक जयप्रकाश अंचल ने इसे गम्भीरता से लिया और इसके लिये धन स्वीकृत कराया तथा इसी वर्ष के 3 जनवरी 2017 को शिलान्यास भी कर दिया. तब तक चुनाव होने लगा. नयी भाजपा सरकार के गठन के बाद अभी काम शुरू ही हुआ था कि विधायक सुरेन्द्र नाथ सिंह इस सड़क की जांच करने पहुंचे. गुणवत्ता में कमी व मानक की अनदेखी का आरोप जड़ते हुये काम रोक कर जिम्मेदार अधिकारियों  को जांच करने का आदेश जारी किये. इसके ठीक अगले दिन से ही काम शुरू हो गया. जैसे तैसे, जल्दी-जल्दी सड़क पूरा कर दिया गया. इसके बाद से द्वाबा में यह सड़क मानक के उल्लंघन का उदाहरण बन गयी. वजह सड़क पर पड़ी छर्रियों व तारकोल का कोई ताल मेल ही नहीं  था. पैदल चलने पर भी गिट्टी व छर्री इधर उधर बिखर जाने लगा. इस रास्ते गुजर कर लोग मौजूदा सरकार के कार्यों की गुणवत्ता का उदाहरण इसी सड़क को बताने लगे. सपा के बैरिया विधानसभा अध्यक्ष उमेश यादव व महा सचिव निर्भय नारायण सिंह का कहना है कि भाजपा सरकार पिछली सपा सरकार की योजनाओ और स्वीकृत धन से कार्य करा कर अपनी पीठ तो थपथपा रही है.  लेकिन काम कैसा हो रहा है यह तो इस सरकार का दायित्व है.  उदाहरण स्वरूप बैरिया तहसील- बढैया टोला सडक को  देख लें . धन देने के बाद अब इसके निर्माण के गुणवत्ता का दायित्व तो भाजपा सरकार व उसके जनप्रतिनिधियों का ही है. ऐसी बातों के चलते यह मार्ग एक उदाहरण बन गया. लगभग हर लोग यही सड़क दिखा कर व्यंग करना शुरू कर दिये. लगभग दो माह बाद इस सड़क पर फिर से छर्री व तारकोल डाल कर रोलर चलाया जा रहा है. बावजूद लोग अब भी इसकी गुणवत्ता पर ऊँगली  उठा रहे हैं, और बन्दरबांट का आरोप लगा रहे हैं .

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