गाजीपुर में तो अपराधियों के लिए दबंग साबित हुए थे

बलिया से कृष्णकांत पाठक

KK_PATHAKआईआईटी रुड़की से पासआउट वैभव कृष्ण का जन्म 12 दिसम्बर 1983 को पश्चिमी यूपी के बड़ौत (बागपत) में हुआ था. उनके पिता केके शर्मा पेशे से चिकित्सक हैं. वैभव रुड़की से पासआउट होने के बाद संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षा में बैठे. फर्स्ट एटेम्पट में ही 2009 में वे आईपीएस चुने गए. यूपी में 2010 काडर मिला.

पहली पोस्टिंग बतौर एसपी गाजीपुर में मिली. यहां भी फर्स्ट एटेम्पट में ही वैभव कृष्ण ने जीरो टालरेंस का परिचय दिया. दिग्गज राजनेता के करीबी अमरनाथ यादव को मर्डर केस में सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. पिछले साल जून और जुलाई में जिले के सभी वारंटियों को अंदर भेजा. इसके बाद गाजीपुर जैसे जिले में अपराध का ग्राफ मुंह के बल गिर गया. राजनेता को यह हरकत नागवार गुजरी. उन्होंने वैभव का तबादला करवा दिया. इस बात से क्रुद्ध गाजीपुर की जनता सड़क पर उतर गई. यहां तक कि ट्रांसफर रोके जाने के विरोध में  जनता हाईकोर्ट भी गई. यह दीगर बात है कि ट्रांसफर-पोस्टिंग सरकार के क्षेत्राधिकार का मामला होने के कारण कोई राहत नहीं मिली.

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आईपीएस वैभव पहले मुरादाबाद में एसपी जीआरपी रहे. इस दौरान दिल्ली-लखनऊ रूट की ट्रेनों में अपराध रोकने के लिए उन्होंने कई चर्चित अभियान चलाए. जहरखुरानों का फोटो सहित पूरा ब्योरा हर थाने में उन्होंने मौजूद कराया. लेकिन दुर्भाग्यवश बुलंदशहर में हाईवे गैंगरेप मामले में वैभव कृष्ण मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कोपभाजन भी बने. मातहतों के साथ उन्हें भी निलंबित कर दिया गया. हालांकि उन पर हुई कार्रवाई पर रेप पीड़ित परिवार ही मुख्यमंत्री पर बिफर पड़ा. परिवार का कहना था कि घटना की जानकारी मिलने के बाद एसएसपी वैभव कृष्ण हवाई चप्पल में ही मौके पर पहुंचे थे और उन्होंने पूरी बात सुनकर मदद की. केवल डॉक्टर ने जरूर मेडिकल मुआयना के दौरान दुर्व्यवहार किया. उधर, वैभव कृष्ण की छवि को देखते हुए उन पर गेहूं के साथ घुन पिसने की कहावत फिट बैठी थी. माना जाना चाहिए कि प्रभाकर चौधरी के जाने से मर्माहत बलिया वालों को वैभव कृष्ण जैसी काबिल शख्सीयत निराश नहीं करेगी.

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