बलिया : महावीर घाट स्थित गायत्री शक्तिपीठ के प्रांगण में मंगलवार को शान्तिकुंज हरिद्वार से आये प्रज्ञा पाक्षिक के संपादक पं.वीरेश्वर उपाध्याय ने कहा कि मनुष्य मनुष्यता को छोड़ते जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मनुष्य के विवेक पर निर्भर है कि वह देवत्व का आचरण करें या पशुत्व का. संकल्प सही हो तो जंगल में भी मंगल हो सकता है.
कार्यक्रम की शुरुआत मां गायत्री के चित्र पर फूल माला अर्पित और दीप प्रज्ज्वलित कर की
गयी. पं. उपाध्याय ने बताया कि गुरुदेव का कहना है कि मामूली प्रयास कर जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है.
मनुष्य अगर उत्तम आचरण करें और अपना श्रम सही दिशा में लगाये तो
देवताओं को भी झुकना पड़ता है.उसे सिर्फ अपने मन और इन्द्रियों को वश में रखना होगा ताकि वे आप के संकेत से गतिशील हों.
उन्होंने कहा कि बंदर सबको काटता है नुकसान करता लेकिन जो मदारी उसे साध लेते हैं उसका भोजन व द्रव्य कमाने का साधन भी वही बंदर बन जाता है.
महिलाओं के प्रति सम्मान पर विशेष बल देते हुए उन्होंने कहा कि आप लोग नवरात्र में कन्याओं की पूजा करते हैं. बाद में उसका ही तिरस्कार भी करते हैं, यह ठीक नहीं है.
सभी की भावनाओं की कद्र करना सीखिए.
कैकेयी और मंथरा ने भले ही जाने-अंजाने गलती की लेकिन राम, सीता, लक्ष्मण, कौशल्या, सुमित्रा आदि ने अपने कर्तव्य समझे. तभी आज रामायण को पवित्र गंथ कह कर पूजा जाता है.
अपना कौशल बढ़ाने के लिए निरंतर अभ्यास की आवश्यकता है, मन का विवेक जागृत करो. इसके लिए गायत्री मंत्र से बढ़कर कोई दुसरा नहीं. यज्ञ का मतलब श्रेष्ठ कर्म होता है.
किये गये उपकारों का महिमा मंडन छोड़ें, तभी युग निर्माण
बलिया : पं.उपाध्याय ने गायत्री शक्तिपीठ में शाम को जनपद के 17 ब्लाकों के 107 प्रज्ञा मंडल, महिला मंडल और 125 झोला पुस्तकालय कार्यकर्ताओं को भी संबोधित किया.
उन्होंने कहा कि युग निर्माण करना है तो स्वयं द्वारा किए गए परोपकारों को महिमा मंडित करना छोड़ दें. जिस कार्य को करें शरीर के साथ मन भी वहीं रखें.भाव से प्रार्थना करें, यह नहीं कि मंत्र कहीं जप रहे हैं और मन कहीं और है.
इस मौके पर शान्तिकुंज हरिद्वार के उत्तर जोन प्रभारी रामयश तिवारी, सौरभ शर्मा, प्रशेन सिंह, उप जोन प्रभारी बहन शिवम्दा सिंह, गायत्री शक्तिपीठ प्रमुख विजेंदर नाथ उपाध्याय ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया.