
बलिया : आहार, निद्रा, भय के मायाजाल में फंस कर मनुष्य पशु समान हो गया है. मनुष्य की सोच मेंढक जैसी हो गई है. श्रीमद्भागवत गीता के अमृत पान से मनुष्य अपने जीवन को सार्थक कर सकता है.
इस्कॉन मंदिर लखनऊ के अध्यक्ष अपरिमेय श्यामदास जी महाराज ने श्रीमद्भागवत सेमिनार में कहा.
बिल्थरारोड क्षेत्र के पलिया ग्राम में श्रीमद्भागवत सेमिनार में अपरिमेय जी ने श्रीमद्भागवत कथा की महिमा का बखान किया.
उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता के विभिन्न श्लोकों का उच्चारण कर मानव जीवन की विसंगतियों का विवेचन किया. उन्होंने महाभारत के दौरान भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए उपदेश का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म की रक्षा के लिए युद्ध करने के लिए प्रेरित किया.
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अपरिमेय जी ने कहा कि मनुष्य माया में फंस पर अपने सही अस्तित्व को स्वीकार नहीं करता. मनुष्य की वास्तविक पहचान आत्मा से होती है. निर्विवाद सत्य की अनुभूति वह नहीं कर पाता. उन्होंने कहा कि संसार में दो शाश्वत सत्य है. पहला मृत्यु निश्चित है तथा मृत्यु कब आएगी, यह किसी को पता नहीं. उसकी स्थिति कुएं के मेढ़क समान हो गई है.