बलिया से रविशंकर पांडेय
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार जलस्तर मंगलवार की शाम 64.190 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान 64.010 से 18 सेंटीमीटर ऊपर है. आयोग का पूर्वानुमान है कि अगले 24 घंटे में जलस्तर में आधा-आधा सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर वृद्धि होगा. घाघरा के तटवर्ती कई क्षेत्रों में कटान हो रही है. जिससे किसानों की उपजाऊ भूमि कट-कट कर नदी की जलधारा में विलीन हो रही है.
मंगलवार को घाघरा नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि के चलते बंधा पर खतरा मंडराने लगा है. हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन को घाघरा नदी ने अपने जद में ले लिया है. वहीं अब गांवों की तरफ नदी ने रुख कर दिया है. ऐसे में इलाकाई लोग दहशत में हैं. एसडीएम बांसडीह दुष्यंत कुमार मौर्य ने बताया कि घाघरा नदी के आसपास के गांवों का दौरा किया जा रहा है. जल्द ही अन्य व्यवस्था कर दी जाएगी.
दियारा क्षेत्र के रिगवन छावनी, नवकागाँव, बिजलीपुर, कोटवा, मल्लाहि चक, चक्की दियर, टिकुलिया आदि गाँवो के किसानों के लगभग हजारों एकड़ खेत घाघरा में समाहित हो चुके हैं. किसानों के हजारों एकड़ फसल जिसमे बाजरा, मक्का, गन्ना, धान आदि घाघरा के पानी से बर्बादी के कगार पर है. तटवर्ती गांवों की उपजाऊ जमीन को हमेशा की तरह इस बार भी धीरे-धीरे नदी काटकर अपने आगोश में ले रही है. इसके चलते इलाके के लोग परेशान हैं. नदी का रौद्र रूप देखकर किसानों के माथे की चिंता की लकीरें बढ़ गई हैं. विवशता तो यह है कि उन्हें अपनी जमीन को बचाने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा. सुरसा की तरह आए दिन नदी कई बीघा उपजाऊ जमीन को अपने आगोश में ले रही है. पेड़ भी नदी में समाहित हो रहे हैं. इसके चलते दियारे के लोग भयभीत हैं.
उधर, घाघरा का जल तटवर्ती गुलौरा, मठिया, खैरा, मधुबनी, तुर्तीपार, मुजौना की ओर फैलने से लोग सहम गए हैं. दरअसल नदी के उस पार देवरिया जिले के बरहज-मईल क्षेत्र में बने ठोकर से टकराने के बाद नदी की मुख्य धारा सीधे मुड़कर बलिया जिले में पहुंचती है, जिससे चैनपुर, गुलौरा, खैरा, मधुबनी, तुर्तीपार, मुजौना, हल्दीरामपुर आदि गांवों में कटान हो रही है. नदी के पानी से प्रभावित होने वाले डेंजर जोन में बसे क्षेत्र के आधा दर्जन गांव अस्तित्व के संकट से जूझ रहे है.
इसी क्रम में विकास खंड मुरली छपरा क्षेत्र के इब्राहिमाबाद नौबरार पंचायत से लगायत चांददियर पंचायत में बीते दो सप्ताह से लगातार हो रही तेज बारिश जयप्रभा सेतु से लगायत इब्राहिमाबाद नौबरार पंचायत स्थित सठिया ढाला के समीप बने टी स्पर से कुछ ही दूरी पर करीब छह किलोमीटर की दूरी में सरयू कृषि योग्य भूमि को लगातार काट रही है. बीते एक पखवारा में करीब 30 एकड़ भूमि को सरयू अपने पेटे में ले चुकी है. बैरिया तहसील क्षेत्र के गोपालनगर ग्राम पंचायत के किसानों के मक्का, परवल और शकरकंद के 30 बीघा से अधिक जमीन सरयू नदी की कटान में समा चुके हैं.
सिकंदरपुर तहसील क्षेत्र के सरयू नदी के किनारे रिग बंधे पर बनाए गए बाढ़ विभाग द्वारा तटबंध को कभी भी सरयू नदी का पानी तोड़ सकता है. जिससे स्थिति भयावह हो जाएगी. कठौड़ा से लेकर के डुहा बिहरा तक नदी के पानी से तटबंध पर दबाव बढ़ गया है. लोगों ने बताया कि यहां केवल कागजी खानापूर्ति के लिए बचाव कार्य किए जाते हैं. 500 से 1000 बोरी नदी के किनारे तटबंध बनाकर ठेकेदार चले जाते हैं, कठौड़ा निवासी उपेंद्र राय, नन्हे दुबे, सोनू राय, पीयूष दुबे आदि ने यहां स्थाई ठोकर निर्माण की मांग की है.