बहुत कचोट रहा डॉ. विवेकी राय का जाना

सुखपुरा (बलिया)। प्रख्यात साहित्यकार डॉ. विवेकी राय के निधन पर सांस्कृतिक संस्था अंकुर के सदस्यों की एक बैठक संत यतीनाथ परिसर मे आहूत की गई, जिसमें उनका   भाव पूर्ण स्मरण किया गया.

इस मौके पर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया. गीतकार बृजमोहन प्रसाद अनारी ने कहा कि विवेकी राय ने भोजपुरी एवं हिंदी में समान रूप से उत्कृष्ट रचना कर दोनों को अमूल्य थाती सोंपी है. उनका निधन दोनों के लिए ऐसी क्षति है जिसका भरपायी संभव नही है. विजय बहादुर सिंह विकल ने कहा कि डॉ. राय का निधन भोजपुरिया समाज एवं भोजपुरी भाषा की अपूरणीय क्षति है. लोक गायक अरविंद अलबेला ने कहा कि श्री राय ने भोजपुरी व हिन्दी दोनों को समृद्ध किया. उनका निधन पूरे पूर्वांचल के साथ  साहित्य जगत की विशेष क्षति है, जिसकी भरपाई निकट भविष्य में कतई सम्भव नहीं है. इस मौके पर आरएस यादव, संत कुमार, सुभाष, राजेंद्र सिंह, राज नारायण यादव, बब्बन सिंह बेबस, बेचू राम कैलाशी, डॉ. दीनानाथ ओझा, हरे राम सिंह आदि मौजूद रहे. अध्यक्षता महावीर प्रसाद गुप्त एवं संचालन अरविंद उपाध्याय ने किया.

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