


भगवान धन्वंतरि पूजन एवं आयुर्वेद दिवस समारोह में जिलाधिकारी ने किया प्रतिभाग
बलिया. जिलाधिकारी रविंद्र कुमार शुक्रवार को जनपद सभागार परिषद में आयुष मेडिकल एसोसिएशन इंडिया इकाई बलिया द्वारा आयोजित भगवान धन्वंतरी पूजन एवं आयुर्वेद दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग कर सभा में उपस्थित आयुष विभाग के चिकित्सको को संबोधित किया
जिलाधिकारी ने भगवान धनवंतरी को प्रणाम करते हुए अपने संबोधन में कहा कि प्राचीन काल में हमारे ऋषियों और मुनियों ने वेद और पुराणो की रचना कर आयुष चिकित्सा से संबंधित बहुत सी जानकारियों का उल्लेख किया है. दूसरे देश के वैज्ञानिकों ने हमारे इसी पद्धति को चुराकर अपना रिसर्च बता रहे हैं.
इन दवाओं के उपयोग का तात्कालिक लाभ तो नहीं होता, इसमें कुछ समय लगेगा,लेकिन आयुर्वेद और होम्योपैथिक जैसी चिकित्सा के माध्यम से व्यक्ति के रोगों को जड़ से खत्म किया जा सकता है. लोगों में यह जागरूकता फैली है कि एलोपैथिक दवाएं खाने से साइड इफेक्ट होते हैं, इस कारण से पिछले कुछ वर्षों में लोगों का रुझान होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा की तरफ बढ़ा है. उन्होंने इस चिकित्सा से जुड़े चिकित्सकों को इस प्रकार के आयोजन और आगामी त्योहारों के लिए बधाई दी. आयुष मेडिकल एसोसिएशन के सदस्यों ने जिलाधिकारी को अंगवस्त्र एवं भगवान धन्वंतरि की फोटो का स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया.
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बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट
राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में हर्षोल्लास से मनायी गई भगवान धन्वंतरि जयंती
राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय टोला शिवनराय परिसर में भगवान धन्वंतरि जयंती धूमधाम से मनायी गयी . धन्वंतरि के प्रतिमा पर चिकित्सालय के अधिकारी कर्मचारियों ने माल्यार्पण पुष्प अर्पित किया. इस अवसर पर प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ० संतोष यादव ने अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि धन्वंतरि भगवान विष्णु के अवतारों में से एक माने जाते हैं ,जो देवताओं के चिकित्सक थे . भगवान धन्वंतरि ने ही संसार के कल्याण के लिए अमृतमय औषधियों की खोज की थी.
दुनिया भर की औषधियों पर भगवान धन्वंतरि ने गहन अध्ययन किया जिसके अच्छे-बुरे प्रभाव आयुर्वेद के मूल ग्रंथ धन्वंतरि संहिता में बताए गए हैं. देव -दानवों के युद्ध में समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. इस अवसर पर योग विभाग के चिकित्सक डॉ० नीरज पाण्डेय ने अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के आदि प्रवर्तक व स्वास्थ्य अधिष्ठाता देवता होने से विश्व वंद्य है.

इस दिन लोग अपने घरों में नए बर्तन खरीदते हैं और उनमें पकवान रखकर भगवान धन्वंतरि को अर्पित करते हैं . अच्छी बात है परन्तु वह भूल जाते हैं कि असली धन तो स्वास्थ्य ही है. डॉ०पाण्डेय ने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सा भारतीय चिकित्सा के पारंपरिक प्रणाली है. एशिया के कुछ हिस्सों में प्रचलित है . इसके पीछे आयुर्वेद की एक लंबी परंपरा है. उपसंहार करते हुए कहा कि दुनिया का भी सबसे पहला सर्जन आयुर्वेद के ही थे . अगर जड़ से किसी रोग को खत्म करना चाहते हैं तो आयुर्वेद ही एक विकल्प है. इस अवसर पर सुनील पाण्डेय, रूपनारायण सिंह सुशील कुमार तथा क्षेत्र के गणमान्य लोग भी उपस्थित रहें.
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विनय कुमार की रिपोर्ट
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