

मेरा सामना कई बार हुआ है मौत से, मैंने बहुत से लोगों की जान ली है, युद्ध के मैदान में भी और कोर्ट मार्शल में भी. मैं प्रजाइडिंग ऑफिसर कर्नल सूरत सिंह हूं. इसी दृश्य के साथ शुरू होती है कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया.
बलिया। जज की फटकार, वकीलों के जिरह, गवाहों के बयान…. लग रहा था जैसे हम किसी कोर्ट रूम में बैठकर मुकदमे की कार्रवाई देख रहे हैं. बलिया शहर में स्थित बापू भवन मंगलवार की शाम लगभग 2 घंटे के लिए कोर्ट मार्शल के कमरे के रूप में तब्दील हो गया था. अवसर था संकल्प साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया द्वारा कोर्ट मार्शल नाटक के मंचन का.
स्वदेश दीपक द्वारा लिखित बहुचर्चित नाटक “कोर्ट मार्शल” को “संकल्प” के रंग कर्मियों ने मंच पर जीवंत कर दिया. नाटक में सेना के जवान रामचंद्र का जनरल कोर्ट मार्शल किया जाता है. जिस पर आरोप है कि उसने अपने अधिकारी कैप्टन वर्मा का खून और कैप्टन कपूर पर जानलेवा हमला किया है. ऊपरी तौर पर यह मामला सीधे-सीधे हत्या का लगता है, परंतु बचाव पक्ष के वकील कैप्टन विकास राय की दलीलों और रामचंद्र के अंतर्नाद ने इसे एक सामाजिक वध में बदल दिया.
वास्तव में रामचंद्र छोटी जाति का है. इसकी वजह से उसके दो सीनियर अफसर उस का शोषण करते हैं और हमेशा गाली दे कर अपमानित करते हैं. अंत में तंग आकर वह शमशीर उठा लेता है. रामचंद्र को हत्या की सजा मिलती है, लेकिन कोर्ट की कार्रवाई के दौरान हमारा पूरा भारतीय समाज कटघरे में खड़ा हो जाता है. हम सभी को संविधान और कानूनन तो बराबरी का हक और अधिकार दिया गया है, परंतु वास्तव में अभी भी हम सामंती सोच के दायरे से बाहर नहीं निकल पाए हैं. सोचने का नजरिया अभी तक नहीं बदला है.

मंच पर प्रस्तुति के दौरान कहीं से नहीं लग रहा था कि हम नाटक का मंचन देख रहे हैं. कलाकारों की चुस्ती फुर्ती, उनके चलने, उठने, बैठने का अंदाज किसी सेना के जवान से कम नहीं था. दर्शकों से खचाखच भरे बापू भवन में इस प्रस्तुति के माध्यम से संकल्प ने फिर एक बार बलिया के रंगमंच को नई ऊंचाई दी. मंच पर कर्नल सूरत सिंह के रोल में आनंद कुमार चौहान, हर बार की तरह अपनी छाप छोड़े. नाटक के निर्देशक अमित पांडेय ने बचाव पक्ष के वकील के रूप में दर्शकों के दिल और दिमाग पर दमदार अभिनय की बदौलत जगह बनाई. दूसरे वकील के रुप में सुनील शर्मा और अपराधी रामचंद्र की भूमिका में चंदन भारद्वाज बेजोड़ रहे.
कैप्टन वीडी कपूर की भूमिका में उमाकांत और गार्ड के रूप में अमित ने अपने अभिनय का लोहा मनवाया. संदीप वर्मा, नीतीश पांडेय, अर्जून, संदीप कुमार सानू ने भी अपने किरदार को बखूबी निभाया. कलाकारों का मेकअप ट्विंकल गुप्त ने किया, जबकि लाइट साउंड की जिम्मेदारी सोनी ने निभाई. मंच परिकल्पना एवं निदेशन सहयोग युवा रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी का रहा. प्रस्तुति से पहले जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जनार्दन राय, डॉ. राजेंद्र भारती, रामजी तिवारी, शालिनी श्रीवास्तव, संतोष सिंह ने दीप जलाकर मंच का उद्घाटन किया और डॉ. जनार्दन राय ने सभी कलाकारों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया.