बलिया. जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह के समापन समारोह के अंतर्गत बुधवार 22 दिसंबर को चंद्रशेखर जी के सपनों का भारत विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
इस अवसर पर मुख्य अतिथि रामविचार पाण्डेय, स्वतंत्रता सेनानी ने कहा कि चंद्रशेखर एक सामाजिक व्यक्ति थे और हमेशा अपने कार्यकर्ताओं का सम्मान करते थे. वे धरती से जुड़े हुए थे, इसीलिए आम लोगों के दुख और तकलीफों को समझते थे और उसी की राजनीति करते थे.
विशिष्ट वक्ता सूर्यकुमार, ट्रस्टी, भारत यात्रा ट्रस्ट, बहराइच ने कहा कि चंद्रशेखर ने हमेशा सिद्धांत और मूल्यों की राजनीति की. वे चाहते तो मोरारजी सरकार में या इंदिरा सरकार में या वी पी सिंह सरकार में मंत्री बन सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्होंने उस समय प्रधानमंत्री का पद स्वीकार किया जब कोई और सत्ता संभालने का इच्छुक नहीं था. उनके प्रधानमंत्रित्व काल में बहुत सी समस्याएं सुलझने के करीब थीं. देश का दुर्भाग्य रहा कि उन्हें पर्याप्त समय नहीं मिल पाया.
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो कल्पलता पाण्डेय जी ने कहा कि हम बलिया में शोध और शिक्षा के स्तर को सुधारने को दृढ़ संकल्पित हैं. छात्रों में बौद्धिकता, विनम्रता और अनुशासन से हमारे विश्वविद्यालय की पहचान बनेगी. बीज व्यक्तव्य डाॅ अशोक सिंह ने दिया.
इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर के सांस्कृतिक प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किये गए. सायंकाल पूरे परिसर को 11,000 दीपों से सजाया गया.
कार्यक्रम के आरंभ में चंद्रशेखर जी व मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. कुलगीत की प्रस्तुति अरविंद उपाध्याय एवं सहयोगियों ने की. कार्यक्रम का संचालन डाॅ प्रमोद शंकर पाण्डेय ने एवं धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव संत लाल पाल ने किया. इस अवसर पर डाॅ दिलीप श्रीवास्तव, डाॅ अरविंद नेत्र पांडेय, डाॅ प्रतिभा त्रिपाठी, डाॅ साहेब दूबे, डाॅ रामशरण पाण्डेय, डाॅ जैनेंद्र पाण्डेय डाॅ आइ पी सिंह डाॅ अतुल, डाॅ नेहा, डाॅ मनीषा आदि प्राध्यापक एवं एन एस एस, एन सी सी, रोवर्स रेंजर्स तथा परिसर के विद्यार्थी उपस्थित रहे.
(बलिया से कृष्णकांत पाठक की रिपोर्ट)