तनाव मुक्त होकर अपने लक्ष्य व कैरियर पर दे ध्यान
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आशीष दुबे, बलिया
यूपी बोर्ड परीक्षा खत्म हो गया है. परीक्षा परिणाम, अंक पत्र को लेकर बच्चों में घबराहट है. अव्वल नंबर लाने को लेकर चिंता बच्चों व उससे ज्यादा उनके अभिभावकों पर देखा जा रहा हैं. बच्चों के बचपन, शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य की कीमत पर एक बढिय़ा नंबरों का सपना देश के ज्ञान संसार पर भारी पड़ रहा है.
विडंबना है कि डाक्टर, इंजीनियर बनने जैसे सपने साकार करने के लिए लालायित बच्चे 10-12 साल से स्कूल जा रहे हैं, लेकिन उनकी पढ़ाई उनको असफलता का सामना करने का साहस नहीं सिखा पाती है. मेहनत का परिणाम अच्छा ही होता है.
परीक्षा देने जा रहे बच्चे खुद असल में प्रतिस्पर्धा के असली मायने सिखाने में पूरी शिक्षा प्रणाली असफल रही है. अपनी क्षमता के अनुरूप सबसे बेहतर करूं यही स्वस्थ प्रतिस्पर्धा है, लेकिन आज की प्रणाली दूसरों से तुलना में अपनी क्षमता आंकने का पाठ पढ़ाती है.
ऐसे में बतौर अभिभावक आपकी यह जिम्मेदारी बनती है कि अपने बच्चे को तनाव से दूर रखने में उसकी मदद करें. अगर आपका बच्चा भी परीक्षा के तनाव से जूझ रहा है, तो आप कुछ टिप्स की मदद से उसकी सहायता कर सकते हैं. उसका हौसला अफजाई कर सकते हैं.
अच्छे अंक न आने पर बच्चे पर दबाव न बनाएं अभिभावक
कई माता-पिता अपने बच्चे पर पढ़ाई के लिए बहुत अधिक दबाव बनाने लगते हैं. लेकिन इस दबाव की वजह से भी बच्चे तनाव का शिकार हो सकते हैं. ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि आप बच्चे पर पढ़ाई या रिजल्ट को लेकर दबाव न बनाएं. अपने बच्चे के प्रति विश्वास जाहिर करना चाहिए ताकि उसे प्रोत्साहन मिल सके.
केवल नंबरों की दौड़ में अभिभावक
बारहवीं बोर्ड के परीक्षार्थी बेहतर स्थानों पर प्रवेश के लिए चिंतित हैं, तो दसवीं के बच्चे अपने पसंदीदा विषय पाने के दबाव में.
दूसरी ओर हैं मां-बाप के सपने, बचपन, शिक्षा, सीखना सब कुछ इम्तिहान के सामने गौण है. नंबरों की दौड़ में सब कुछ दांव पर लग गया है. क्या किसी बच्चे की योग्यता का पैमाना महज अंकों का प्रतिशत है? वह भी उस परीक्षा प्रणाली में, जिसकी मूल्यांकन प्रणाली संदेहों से घिरी है.
मूल्यांकन का आधार बच्चों की योग्यता न होकर उसकी कमजोरी है. बच्चों के लिए स्कूली बस्ते के बोझ से अधिक बुरा है न समझ पाने का बोझ. अव्वल आने की दौड़ में न जाने कितने बच्चे दबाव का शिकार होकर गलत कदम उठा चुके हैं.
बच्चे से बात करें
अगर आपका बच्चा परीक्षा के कारण तनाव में है, तो उससे बात करें. पेरेंट्स को बच्चे के लिए सपोर्ट सिस्टम की तरह होना चाहिए. अगर आपका बच्चा स्ट्रेस या डरा हुआ है, तो उसे समझाएं कि यह एक बेहद सामान्य बात है. आपको बच्चे से बात करके परीक्षा के तनाव को मैनेज करने में मदद करनी चाहिए.
तनाव मुक्त होकर अपने लक्ष्य व कैरियर पर दे ध्यान
डॉ. इफ्तेखार खां, राजकीय इण्टर कालेज के शिक्षक ने बताया कि आजकल सभी बोर्ड की परीक्षाए चल रही हैं. जिसके चलते अक्सर बच्चें तनावग्रस्त होते जा रहे हैं. यह तनाव कई प्रकार के होते हैं, किसी का प्रश्न का उत्तर गलत हो गया हो, तो किसी को अच्छे की चिंता इत्यादि उपर से गार्जियन की डाट का डर.
ऐसे में बच्चे काफी सदमें में पड जाते है. ऐसे में मेरा सुझाव इन प्यारे बच्चों के लिए यह है की आप पीछे की चिन्ता छोडकर हमेशा अपने लक्ष्य पर ध्यान रखे, लक्ष्य से विचलित नही होना है. आप बिल्कुल तनाव मुक्त होकर आगे के भविष्य की तैयारी में लग जाओं. लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अंक की भूमिका से महत्वपूर्ण होती है, ज्ञान की भूमिका.
आपको लक्ष्य तक पहुचाएगा ज्ञान. ज्ञान अर्जन के लिए आप नियमित अध्ययन करें. बारहवी के परीक्षार्थी परीक्षा समाप्ति के बाद परीक्षाफल के तनाव में न पड़कर प्रवेश परीक्षा की तैयारी में लग जाए. इसके लिए समय सारिणी बनाकर योजनाबद्ध तरीके से अध्ययन करते रहे. प्रश्नों को रटनेें कं बजाय बार—बार दोहराते रहे. इस प्रकार तनावमुक्त होकर अपने लक्ष्य और कैरियर पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
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