सुरहा ताल में नौकायन बंद, पर्यटन विकास की राह देख रहा पक्षी विहार: ठंडे बस्ते में है योजनाएं
बलिया. सुरहा ताल पक्षी विहार को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के सारे दावे हवा-हवाई हो गए हैं. उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े पक्षी विहार में से एक 34 वर्ग किमी में फैले सुरहा ताल को वर्ष 1991 में पक्षी विहार (बर्ड सेंचुरी) घोषित किया गया और इसे जय प्रकाश नारायण पक्षी विहार नाम दिया गया.
पर्यटन विकास के नाम पर यहां एक वाच टावर के अलावा कुछ और विकसित नहीं हुआ. पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के सारे दावे हवा-हवाई हो गए हैं.
अब यह जिले के पर्यटन विकास की प्राथमिकता से बाहर दिख रहा है. पिछले वर्ष दिसंबर में यहां जोर-शोर से जिला प्रशासन की ओर से पक्षी महोत्सव के साथ बोटिंग की शुरुआत की गई थी. इस पर लाखों रुपये खर्च हुए.
इससे नाविकों के साथ स्थानीय लोगों को रोजगार मिलने की आस जगी थी लेकिन अब किनारे से पानी दूर चला गया. और सुरहा ताल में पर्यटन विकास की सारी उम्मीदें ठंडे बस्ते में चली गईं. अब यहां बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई हैं. बोट का अता-पता नहीं हैं. कुछ दिनों तक नाविकों और लोगों से गुलजार रहा सुरहा ताल अब वीरान नजर आ रहा है.
पर्यटन विकास की राह देख रहा ये विहार
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े पक्षी विहार में से एक 34 वर्ग किमी में फैले सुरहा ताल को वर्ष 1991 में पक्षी विहार (बर्ड सेंचुरी) घोषित किया गया और इसे जय प्रकाश नारायण पक्षी विहार नाम दिया गया.
पर्यटन विकास के नाम पर यहां एक वाच टावर के अलावा कुछ और विकसित नहीं हुआ. अब इस पर भी चढ़ने पर रोक है. साइबेरियन पक्षियों का बड़ा ठिकाना यह पक्षी विहार आज भी पर्यटन विकास की रहा देख रहा है.
अगर हो विकास तो अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती
प्रदेश के वन्य जीव अभ्यारण्य और पक्षी विहार पर्यटन के बड़े केंद्र हैं. यहां वर्षभर लोगों का आना-जाना लगा रहता है. सुरहा ताल को भी उस दृष्टिकोण से विकसित किया जाए तो यह जिले की अर्थव्यवस्था की मजबूती का बड़ा आधार बनेगा.
सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलेगा लेकिन जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उदासीनता से पर्यटन का एक बड़ा साधन लोगों की आंखों से ओझल है. जिलाधिकारी रवींद्र कुमार ने कहा कि सुरहा ताल की स्थिति के बारे में पता लगाकर समुचित कार्यवाही सुनिश्चित कराई जाएगी.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था नही
बंसन्तपुर निवासी विशाल प्रताप यादव ने बताया कि आज भी सुरहा ताल जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं है. अगर अपनी या रिजर्व गाड़ी है तभी वहां आसानी से पहुंचा जा सकता है.
इसके चलते भी लोगों को वहां जाने में रुचि नहीं है. बलिया के लोग ही चंद्रप्रभा अभयारण्य चंदौली समेत प्रदेश के दूसरे सेंचुरी में घूमने जाते हैं लेकिन सुरहा ताल नहीं आते हैं. इसलिए इसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जोड़ना बहुत जरूरी है. यहां पर्यटक सुविधा के नाम पर कुछ नहीं किया गया है.