बलिया का नाम जुबान पर आते ही लोगों के जेहन में वहां की बड़की पुड़ी, पुरी, फुटेहरी (भउरी-चोखा) और सत्तुआ की याद आ जाती है. ज्यादा नहीं, एकाध पीढ़ी पहले जाइए, घरों में तैयार होने वाली विभिन्न मिठाइयां, जो बेटी-पतोह को तीज त्योहार पर भेजे जाते थे, भी दिमाग में तैरने लगती है.
किसी भी समाज, समूह या जिले की पहचान होती है वहां के खान-पान की शैली. मसलन कहा जाता है कि जो एक बार बनारस के लजीज व्यंजनों का स्वाद चख लेता है, वो वहां का मुरीद होकर रह जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर बाटी चोखा की पार्टी के लिए मशहूर थे. बलिया वाले दुनिया के किसी कोने में रहे खाझा, कसार, मेथी, तिलवा, गोझा, पिठौरी (दाली में के दूल्हा), रिगवंक्ष, बेसन के खरेड़ा वगैरह वगैरह नहीं भूल सकते. कई बार तो बलियाटिक खाना न मिला तो बलिया वाले परेशान भी हो जाते हैं. आइए हम और आप मिल कर एक बार फिर अपनी परम्परा को याद करें, चर्चा करें, ताकि आने वाली पीढ़ी भी उसे जायके का आनंद लें.
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जरूरी नहीं है कि आप किसी नपे तूले भूगोल के इर्द गिर्द मंडराए. आप किसी भी फूड आइटम पर यहां चर्चा कर सकते/सकती हैं, बस अनिवार्य शर्त यही है कि उसमे खालिस देसी….. बलियाटिक गमक हो. अर्थात बलिया वाले अपने किसी खास अविष्कार की भी यहां चर्चा कर सकते हैं. प्रयोगधर्मी होना ही तो हमारी पहचान है.
आप चाहे तो अपने पसंदीदा फूड आइटम को बनाने के तौर तरीके विस्तार से (अधिकतम 500 शब्द में, वैसे कोशिश करें कि कम से कम शब्द हो, ज्यादा शब्द जायका बिगाड़ता है) हमें लिख भेजें, जिसमें तैयार सामग्री की मात्रा, कितने लोगों के लिए तैयार किया गया है, सामग्री और विधि विजुअल/फोटोग्राफ्स संग लिख भेजें. प्रस्तोता/प्रेजेंटर अपनी भी तस्वीर भिजवाएं. आप चाहे तो वीडियो के जरिए भी यह काम कर सकते या सकती हैं, बस अधिकतम 10 मिनट का वीडियो बनाएं. हां, उसमें प्रस्तोता/प्रेजेंटर ‘हमारी रसोई में बलिया लाइव’ का जिक्र शुरू और अंत में अवश्य करें.
द्रष्टव्यः आपके द्वारा भेजी गई प्रकाशन/प्रसारण सामग्री हमारी शर्तों और अपेक्षाओं के मुताबिक है या नहीं, या उसमें कुछ बदलाव करना है, यह निर्णय हमारी एडिटोरियल टीम लेगी. जाहिर है हम रिपिटेशन से बचना चाहेंगे. एक आइटम पर किसी एक व्यक्ति का प्रस्ताव ही स्वीकार्य होगा, हां, कोई लीक से हट कर नया कुछ कर रहा है, तो उस पर भी विचार किया जा सकता है. फिर भी हम फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व बेसिस पर निर्णय लेंगे. हम बस कुछ चयनित/सिलेक्टेड आइटम की प्रस्तुति कर सकने में ही सक्षम है. अतः हर प्रस्ताव को स्वीकार करने की स्थिति में या बाध्य कत्तई नहीं है. माना यही जाएगा कि इसमें भागीदारी करने का इच्छुक हर भागीदार हमारे द्वारा निर्धारित कायदे कानून को स्वीकार रहा है.
वैसे सबसे महत्वपूर्ण बात – किसी भी मुद्दे पर हमारे संपादक का निर्णय अंतिम व सर्वमान्य होगा.
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