13 अगस्त 1942, महिलाओं ने संभाला था मोर्चा

बलिया से कृष्णकांत पाठक

KK_PATHAKजब ब्रिटिश हुकूमत ने बलिया में स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ रहे लोगों पर कहर ढाना शुरू किया तो 13 अगस्त 1942 को महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. महिलाएं बलिया चौक में एकत्रित हुईं और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

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कलक्टर पहले ही कुर्सी छोड़ भाग खड़ा हुआ

हाथों में तिरंगा ध्वज लिए कचहरी के तरफ बढ़ चली. जजी कचहरी पहुंचकर राष्ट्रीय झंडा फहरा दिया. जब जुलूस कलेक्ट्रेट के तरफ बढ़ रहा था तो महिलाओं की भारी संख्या में आते देख अंग्रेज कलक्टर पहले ही ऑफिस छोड़ कर निकल गया. कलेक्ट्रेट पहुंची महिलाओं ने हाकिम परगना मिस्टर ओवैस को अपनी कुर्सी छोड़ने का आदेश दिया. उन्हें जबरन कुर्सी से उतार कर महिला नेत्री जानकी देवी कुर्सी पर आसीन हो गईं. सिविल जज को अन्याय भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने को कहा.

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सिविल जज को भेंट की थीं चूड़ियां

हालांकि जब सिविल जज ने असमर्थता प्रकट की तो क्रांतिकारी महिलाओं ने उन्हें चूड़ियां भेंट करते हुए कहा शर्म करो, शर्म करो. नारे भी लगाए. जूरी मंडल के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कार्यालय का ताला तोड़कर तिरंगा ध्वज फहरा दिया. इस संबंध में इंद्रजीत तिवारी, नंदलाल शर्मा, केदारनाथ राम आदि को गिरफ्तार कर लिया गया. इसी दिन जनपद के प्रमुख क्षेत्रों में आंदोलन की सरगर्मी और बढ़ गई. आजादी के लिए लड़ाई लड़ रहे लोगों के दबाव में प्रशासनिक कार्रवाई पूरी तरह से ठप पड़ गई. जनपद के हर कस्बे में पुरूष और महिलाएं सड़कों पर उतर गईं थीं. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे थे. महिलाओं के आगे ब्रिटिश हुकूमत लाचार दिख रही थी.

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फोटो परिचय – वीरांगना – तारा रानी श्रीवास्तव –

अपने पति के साथ साथ वह सीवान पुलिस स्टेशन के सामने एक जुलूस का नेतृत्व कर रही थीं. हालांकि उनके पति को गोली मार दी गई थी,  मगर वह उनके घावों की मरहम पट्टी करने के बाद आगे के लिए रवाना हो गईं. जब वह लौटीं तो पति स्वर्ग सिधार चुके थे. मगर वीरांगना तारा रानी की इच्छा शक्ति अब भी मजबूत थी और वह झंडा थामें लड़ाई जारी रखे हुए थीं. (साभार – scoopwhoop.com)

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