हरेराम की निर्मम हत्या किए जाने से नाराज लोगों ने किया विरोध प्रदर्शन, हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग

बैरिया, बलिया. हत्यारोपी को गिरफ्तार करो, गिरफ्तार करो, हत्यारोपी को फांसी दो, फांसी दो. उक्त आवाज उस हर एक शख्स की थी जो हरेराम की हाथ पैर बांधकर, मुंह मे कपड़ा ठूस कर निर्मम हत्या के उपरांत रेलवे लाइन के करीब फेंके जाने से खासा नाराज था.

मंगलवार को सैकड़ों की संख्या महिला पुरुष हाथ में हत्यारे को गिरफ्तार करो फांसी दो का तख्ती लिये हेवंतपुर गांव से बारिश में भीगते हुये पैदल ही चलकर बैरिया थाना पहुंचकर धरना प्रदर्शन करने लगे.

 

इन लोगों का कहना था कि लगभग एक सप्ताह बाद भी न तो हत्या का खुलासा ही हुआ और नाही किसी भी नामजद हत्यारोपी की गिरफ्तारी ही हुई. ऐसे में हम लोगों का धैर्य व विश्वास बैरिया पुलिस की कार्य प्रणाली से उठता जा रहा है. अगर एक सप्ताह में हरेराम के हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं होती है तथा हरेराम हत्याकांड मामले में पुलिस द्वारा किसी भी तरह की लीपापोती की जाती है तो हम गांव वाले पैदल ही हजारों की संख्या में हेवंतपुर से चलकर बलिया पुलिस कप्तान का घेराव करने को विवश होंगे. जिसकी सभी जिम्मेदारी एसएचओ बैरिया धर्मवीर सिंह की होगी.

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अचानक बिना किसी अल्टीमेटम के सैकड़ों की संख्या में महिला पुरुष के पहुंचकर नारेबाजी व प्रदर्शन से पुलिस सकते में आ गयी. काफी मान मन्नौवल के बाद प्रदर्शनकारी अपना अल्टीमेटम एसएचओ बैरिया को देकर हत्यारोपियों को अविलंब गिरफ्तार करने की पुनः अपनी मांग दोहराई.

 

वहीं मृतक हरेराम के परिवार के ही प्रमोद कुमार पुत्र रमाशंकर राम ने प्रार्थना पत्र देकर कर हत्यारोपी कोटवां निवासी सुजीत साहू पुत्र जवाहर साहू पर धमकी देने का आरोप लगाते हुये कहा कि सुजीत धमकी दे रहा है कि हमारा नाम एफआईआर से निकलवा दो वर्ना अंजाम भुगतने के लिये तैयार रहो.

एसएचओ ने आश्वासन दिया कि हरेराम की हत्या करने वाले पाताल में भी होंगे तो उन्हें बहुत जल्द गिरफ्तार कर लिया जायेगा. धमकी देने वालों की जांचकर कड़ी कारवाई की जायेगी. आप लोग पुलिस पर भरोसा बनाये रखें.

 

एसएचओ धर्मवीर सिंह के आश्वासन के उपरांत प्रदर्शनकारी पैदल ही बारिश में भीगते पुनः अपने गांव हेवंतपुर निकल गये.

 

मृतक हरेराम के नामजद हत्यारों की 6दिन बाद भी गिरफ्तारी न होना पुलिस प्रशासन की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगा रही है.

 

बैरिया पुलिस की आखिर ऐसी कौन सी विवशता है जो हत्यारे को गिरफ्त में लेने से रोक रही है. पुलिस द्वारा परिवारीजन से यह कहा जाना कि असली मुल्जिम की पुलिस द्वारा गंभीरता से खोजबीन जारी है तो क्या हरेराम के परिजनों द्वारा हरेराम की नृशंस हत्या में नामजद हत्यारोपियों को गलत फंसाया जा रहा है.

अगर ये नामजद आरोपी हत्यारोपी नहीं है तो भी फिर हत्यारें कौन है? और पुलिस ने उसे अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं है? लोगों का कहना है कि हत्यारें खुली हवा में आजाद है और पुलिस हवा में तीर चला रही है. परिवारीजन को हत्यारोपियों की तरफ से धमकी दिया जाना भी पुलिस के कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है.

(बैरिया से शशि सिंह की रिपोर्ट)

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