56 गाँवों की लगभग 85,000 की आबादी सांसत में

बाँसडीह (बलिया) से रविशंकर पांडेय

जिले के दक्षिणी छोर पर गंगा, उत्तरी छोर पर घाघरा और पूर्वी छोर पर दोनों नदियां एक साथ मिल जाती हैं. यानि तीनों तरफ से बलिया जनपद नदियों से घिरा हुआ है. ऐसे में घाघरा नदी के जलस्तर में अनवरत वृद्धि जारी है. बाढ़ खण्ड के मीटर गेज के अनुसार सुबह 8 बजे डीएसपी हेड पर 64.36 मापा गया जब कि शाम चार बजे खतरा बिंदु 64.560 है. आपको बता दें कि उच्चतम खतरा बिंदु 66.00 है. ऐसे में कटान से किसानों के खेत सैकड़ों बीघा रोज घाघरा नदी में विलीन हो रहे हैं.

बांसडीह क्षेत्र के लगभग 56 गाँवों की लगभग 85000 आबादी को सरयू नदी प्रभावित करती है. क्षेत्र के रिगवन छावनी, नवकागाँव, बिजलीपुर, कोटवा, मल्लाहि चक, चक्की दियर, टिकुलिया, सुल्तानपुर, पर्वतपुर, रेगहा, रघुबरनगर, रामपुर नम्बरी आदि गाँवों के किसानों के लगभग हजारों एकड़ खेत घाघरा में समाहित हो चुके हैं. किसानों के हजारों एकड़ फसल जिसमे बाजरा, मक्का, गन्ना, धान आदि फसलें घाघरा के पानी से बर्बादी के कगार पर हैं. तीन दिनों तक लगातार घटाव पर सरयू नदी रही.

सरयू ने तटवर्ती गांवों की उपजाऊ जमीन को हमेशा की तरह इस बार भी धीरे-धीरे नदी काटकर अपने आगोश मे ले रही है. इसके चलते इलाके के लोग परेशान हैं. नदी का रौद्र रूप देखकर किसानों के माथे की चिंता की लकीरें फिर बढ़ गई है. विवशता तो ये है कि उन्हें अपनी जमीन को बचाने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा. सुरसा की तरह आए दिन नदी कई बीघा उपजाऊ जमीन को अपने आगोश में ले रही है. जिससे दियारे के लोग भय में है.

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प्रभारी मंत्री अनिल राजभर के बाढ़ क्षेत्र के दौरे में मल्लाहि चक के ग्रामीणों ने रिंगबन्धे को बचाने की बात कही थी, तो इस पर प्रभारी मंत्री अनिल राजभर ने गाँवों के तटबन्धों पर चौबीस घण्टे पेट्रोलिंग की बात कही, लेकिन कही भी पेट्रोलिंग नहीं दिख रही.

सुल्तानपुर निवासी महेश राम का कहना है कि सुल्तानपुर बन्धे से पूर्व में कटान तेज है. सुल्तानपुर के बाजारी टोला निवासी बिजय बहादुर यादव का कहना है कि अगर ऐसे ही कटान होता रहा तो हम लोग भुखमरी के शिकार हो जाएंगे.

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