बलिया से कृष्णकांत पाठक
नरही कांड, जिसमें पुलिस की गोली से एक व्यक्ति की हत्या हो गई थी. उसमें एसीजेएम की अदालत के फैसले के बाद नया मोड़ आ गया है. जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारी कटघरे में खड़े हो गए हैं. पुलिस के सभी दावे को न्यायालय ने नकार दिया है. एसीजेएम द्वितीय ने पशुपालक चंद्रमा यादव के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आदेश दिया है कि वह पशु तस्कर नहीं, पशुपालक है और उन्हें सभी गायों को डेढ़ लाख रुपए का व्यक्तिगत बंधपत्र एवं उतनी ही धन राशि की एक जमानत दाखिल करने पर तथा उतनी ही रकम की अंडरटेकिंग दाखिल करने पर इस शर्त के साथ मुक्त किया जाए कि वह उन गायों का वध नहीं करेंगे. उनका विक्रय नहीं करेंगे तथा उन्हें सुरक्षित रखेंगे. न्यायालय में आवश्यक्ता पड़ने पर अपने खर्च पर प्रस्तुत करेंगे.
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नरही कांड जनपद का बहुचर्चित रहा है. अगस्त माह में नरही थाने पर हुए बवाल में एक निर्दोष व्यक्ति की पुलिस की गोली से जान चली गई थी. चंद्रमा यादव ने पुलिस पर आरोप लगाया कि मुझे जान बूझकर प्रताड़ित करने के उद्देश्य से मेरे दुधारू गायों को पुलिस जबरन दरवाजे से उठाकर ले गई. मुझे पशु क्रूरता एवं गौ वध निवारण अधिनियम के अंतर्गत निरुद्ध कर दिया गया. एक मुकदमा अपराध संख्या 773 / 16 धारा 03/05ए/08 गोवध निवारण अधिनियम एवं पशु क्रूरता अधिनियम थाना नरही के खिलाफ प्रार्थी चंद्रमा यादव ने एसीजेएम द्वितीय के न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर गायों को मुक्त करने की मांग की थी. चंद्रमा ने दावा किया था कि गाय पैसे से मेले में खरीदा था और जिसका उपयोग अपने परिवार के लिए करता है. थाने से रिपोर्ट दाखिल की गई. रसीद की जांच सही ढंग से न्यायालय में दाखिल की गई, जिसमें रसीद गायों की खरीदारी मेले से होना बताया गया है.
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अभियोजन पक्ष की आपत्ति मात्र यह है कि चंद्रमा यादव टेढवा की मठिया थाना नरही की रसीद नहीं दिया, बल्कि ग्राम नरही की रसीद दिया एवं प्रार्थना पत्र टेढवा के मठिया की है. अधिवक्ता के पक्ष सुनने के बाद अदालत ने फैसला दिया कि शपथ पत्र के आधार पर सभी गायों को डेढ़ लाख रुपए की व्यक्तिगत अनुबंध पत्र तथा उसी धन राशि की एक जमानत दाखिल करने पर उतने रुपए के अंदर अंडर टेकिंग दाखिल करने पर गायों को मुक्त कर दिया जाय. चंद्रमा यादव ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने व्यक्तिगत एवं राजनीतिक द्वेष से परेशान करने की नीयत से रसीद के बावजूद उनके दुधारू गायों को जब्त कर लिया. इसके विरोध में धरना प्रदर्शन हुआ तथा एक निर्दोष व्यक्ति को पुलिस ने जानबूझकर गोली से मार दिया.
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चंद्रमा यादव ने कहा है कि यदि पुलिस अधिकारी और प्रशासन के अधिकारी उसी समय रसीद की सत्यता को समझ लेते और सकारात्मक रवैया अपनाते तो एक निर्दोष व्यक्ति की जान गंवानी नहीं पड़ती. कहा कि अपने कसूर पर पर्दा डालने के लिए मुझे पशु तस्कर साबित करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया गया. दूसरे के मुकदमों में मेरा नाम देकर मामले को दूसरा रूप दिया गया. न्यायालय में भी पहले झूठ बोला गया. सरकार के प्रभावी लोगों ने मुझे पशु तस्कर साबित करने के लिए फर्जी मुकदमों की सूची का अंबार लगा दिया, जबकि मेरे ऊपर तस्करी का कोई मुकदमा पूर्व में नहीं रहा है. न ही इस तरह का मैंने कोई कार्य किया है. यह बात न्यायालय के आदेश आने के बाद साबित हो गई है. मुकदमे का अंतिम निर्णय में उन्होंने न्याय मिलने की उम्मीद जताई है. श्री यादव ने दोषी लोगों पर धोखाधड़ी तथा हत्या का मुकदमा दर्ज करने के लिए संघर्ष जारी रखने की घोषणा की है.
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