- काली मंदिर के प्रांगण में श्री हवनात्मक रूद्रमहायज्ञ और श्रीमद् भागवत कथा
दुबहर : काली मंदिर के प्रांगण में श्री हवनात्मक रूद्रमहायज्ञ और श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन परमार्थ आश्रम हरिद्वार से आये भागवत कथा वाचक पूज्य दीपू भाई जी ने कहा कि मृत्यु शरीर बदलने की निश्चित तिथि है.
उन्होंने कहा कि इस दिन आत्मा एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर को धारण करती है. मृत्यु के बाद प्राणी अपने कर्मों का हिसाब परमात्मा को देता है. मृत्यु सबकी निश्चित है. सभी को सत्कर्म की राह पर चलना चाहिए ताकि जब परमात्मा को हिसाब देना पड़े तो अच्छे कर्मों का पलड़ा भारी पड़े.
दीपू भाई ने कथा में राजा परीक्षित के शौर्य, पराक्रम और त्याग के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि कलियुग का आगमन राजा परीक्षित के शासन में ही हुआ.
एक बार एक काला पुरुष एक बैल को मार रहा था. उसके तीन पैर तोड़ दिए. जब यह सब राजा परीक्षित ने देखा तो उन्होंने कहा कि तुम इसको क्यों मार रहे हो. तुमको मालूम नहीं कि यह राजा परीक्षित का राज्य है.
यह कहकर राजा परीक्षित ने कलियुग को मारने के लिए तलवार निकाल ली. तभी कलियुग राजा के पैरों पर गिर पड़ा और बोला कि महाराज हमें क्षमा कर दो और अपने राज्य में ही कहीं जगह दे दो.
राजा परीक्षित दयावान थे. उन्होंने कहा कि तुम उस स्थान पर रहो जहां लोग शराब पीते हों, जुआ खेलते हों, गलत काम करते हों. तुम्हारा स्थान वही रहेगा. जहां ये सब कार्य होते हैं वहां कलियुग का वास होता है.
कलियुग के कहने पर राजा के मुख से गलती से निकल गया कि सोने भी वास् करो. उसी समय कलियुग राजा परीक्षित के मुकुट पर जाकर बैठ गया और उनकी मति भ्रष्ट हो गई.
वह जंगल में शिकार के लिए गए तो श्रृंगी ऋषि के तपस्या कर रहे पिता की गर्दन में सर्प लपेट दिया. इसके बाद घर चले आए. कुछ देर बाद श्रृंगी ऋषि ने यह सब कुछ देखा तो ऐसा करने वाले को उन्होंने श्राप दे दिया.
ऋषि ने शाप दिया कि जिसने यह सर्प मेरे पिता की गर्दन में लपेटा है उसकी मृत्यु आज के सातवें दिन सर्प काटने से हो जाएगी. राजा परीक्षित जैसे ही घर पहुंचे और अपना मुकुट उतारा तो उन्हें अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ.
उन्हें ऋषि के श्राप का भी ज्ञात हुआ और वह इन 7 दिनों में अपनी मुक्ति का उपाय खोजने लगे. इस दौरान 88 हजार ऋषि राजा के यहाँ एकत्रित हुए. सबने कई प्रकार के उपाय बताये.
तभी वहां 12 बरस के सुखदेव भगवान प्रकट हुए और राजा को श्रीमद् भागवत की कथा 7 दिनों तक सुनाई. इस मौके पर कथा में सुखदेव भगवान की झांकी भी निकाली गई.
इस मौके पर प्रधान प्रतिनिधि बिट्टू मिश्रा, विजय सिंह, मनोज सिंह, पिंटू सिंह, अभय सिंह, उमाशंकर पाठक, गोलू, ज्ञान प्रकाश मिश्रा, पप्पू सिंह, राहुल सिंह, मिंटू सिंह, गणेश सिंह, केदार पासवान, संदीप गुप्ता, नरेंद्र सिंह, लल्लन यादव, धन जी गुप्ता, संजय जायसवाल, सोनू दुबे, अभय दुबे आदि भी मौजूद थे.