

चिलकहर से गोपीनाथ चौबे
चिलकहर : स्वतंत्रता सेनानी कामरेड केदारनाथ सिंह के 21वीं पुण्यतिथि पर रविवार को ग्राम पंचायत गोपालपुर मे श्रद्धांजलि सभा का आयोजन वामपंथी विचार मंच के तत्वावधान मे स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र विनोद कुमार सिंह द्वारा किया गया.
विभिन्न राजनैतिक दलो के लोगों ने कामरेड सिंह के व्यक्तित्व कृतित्व से अधिक नागरिकता संशोधन कानून के पक्ष विपक्ष मे जोरदार बहस छेड़ दी. श्रद्धांजलि सभा अधिनियम के समर्थन और विरोध के बहस मंच बन गयी.

श्रद्धांजलि सभा के मुख्य अतिथि किसान सभा मऊ के अध्यक्ष का. देवेन्द्र मिश्रा नागरिकता संशोधन अधिनियम का जोरदार विरोध करते हुए कहा कि सबसे पहले एनआरसी का कार्य असम में किया गया जिस पर लगभग 1700 करोड़ रूपये खर्च हुए,19 लाख लोग इस एनआरसी में अपने को भारतीय होने के प्रमाण नहीं दे पाये. उसमे 14 लाख हिंदू एवं 5 लाख मुस्लिम है.
मिश्र ने कहा कि 1971 में भारत-पाक युद्ध के बाद लाखों बांग्लादेशी भारत में शरण लिये जिसे सरकार ने सभी सुविधाएं दीं. वे लोग पूर्वोत्तर राज्यों में फैल छोटा मोटा काम कर गुजारा करने लगे. वे राजनैतिक दलो के लिये वोट बैंक बन गये.


धीरे धीरे स्थानीय लोगों में सुख सुविधाओं को लेकर उनके विरुद्ध आक्रोश बढा जिन्हें असम से निकालने की मांग प्रबल हो गई. मिश्र ने कहा कि अब भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने सारे भारत में ‘एनआरसी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप’ कराने की घोषणा की है.
आज भी करोड़ों आदिवासियों के पास जन्म संबंधी कोई प्रमाण पत्र नहीं है. जिस असम के 19 लाख लोगों को विदेशी बताया जा रहा है असम सरकार को चुनने में उन लोगों की सहभागिता जरूर रही है. भारत के सभी राज्यो मे हर चौथे पांचवे व्यक्ति के पूर्वज रोजगार की तलाश में आए थे.

सभा में डा. वृजराज सिंह व्यवस्था प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक, चन्द्र भूषण सिंह., वरमेश्वर चौबे पूर्व प्राचार्य, का. राघवेंद्र कुमार, का. विक्रमा सिंह, बलिराम सिंह, का. बैजनाथ सिंह, रघुवर चौवे उपाध्यक्ष क्रान्तिकारी स्मारक समिति, अजय कुमार सिंह “आजाद” प्रबंधक केडी रिलायनल एजुकेशन ऐकेडमी, का. सत्यप्रकाश सिंह, देव नाथ यादव, का. राम नरेश राम, का. इन्ददेव शर्मा, का. विनोद कुमार सिंह, ललन सिंह, तेज बहादुर सिंह, बबलू राजभर, विजय कनौजिया आदि ने स्व. केदारनाथ सिंह के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सूमन अर्पित किया. सभा की अध्यक्षता का. जगदीश सिंह तथा संचालन का. राम लखन सिंह ने किया.