बैरिया विधायक ने डेंजर जोन का लिया जायजा, घाघरा ने उड़ाई नींद  

बलिया। नेपाल एवं तराई क्षेत्र में अधिक वर्षा के कारण घाघरा नदी में बहाव तेज हो गया है. वहीं नेपाल के एल्गिन डैम से गत रविवार की शाम करीब चार लाख क्यूसेक पानी घाघरा में छोड़े जाने से जलस्तर में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. बुधवार को घाघरा का जलस्तर लाल निशान से 52 सेमी ऊपर पहुंच गया, जिससे बाढ़ प्रभावित गांवों में दहशत का माहौल व्याप्त है. बुधवार को बैरिया विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह ने दतहां तथा तीलापुर बाढ़ क्षेत्र का जायजा लिया.

रेवती प्रतिनिधि के मुताबि बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह ने टीएस बंधे सहित घाघरा नदी के रूख को भांपते हुए दतहां तथा तीलापुर बाढ़ क्षेत्र का जायजा लिया. विधायक ने कहा कि बन्धे पर शासन-प्रशासन नजरें जमाये हुए है. नदी का बढ़ाव एवं फैलाव बढ़ रहा है, परंतु नदी की धारा बीच में होने के कारण फिलहाल तटबन्ध को कोई खतरा नजर नहीं आ रहा है. हम लोग नदी पर नजर बनाए हुए हैं. किसी भी दशा में बंधे को कोई आंच नहीं आने दी जाएगी. अगर नदी अपना रुख बदलती भी है तो इसके लिए शासन प्रशासन तैयार है. तत्पश्चात  विधायक सिंह को मरौटी के लोगों द्वारा विभिन्न कीचड़युक्त मार्गों को दिखाया गया. विधायक ने ऐसे मार्गों को बनवाने का आश्वासन ग्रामीणों को दिया. कहा कि जनप्रतिनिधि का दायित्व है कि वह जनता के कार्यों के प्रति समर्पित रहे. मुख्यमंत्री जी का ध्यान इस ओर है कि प्रदेश के सभी मार्ग ठीक हों. प्रधान प्रतिनिधि बृज कुमार सिंह, शंकर यादव, शैलेष कुमार सिंह,  नरेंद्र सिंह, दिलराज सिंह आदि इस मौके पर मौजूद रहे.

बैरिया प्रतिनिधि के मुताबिक तटवर्ती निचले इलाकों में घाघरा का पानी फैलने के साथ ही कई स्थानों पर कटान शुरू हो जाने के कारण इलाकाई लोग भयभीत हो गए हैं. सिताब दियारा अठगांवा, बकुल्हा, टोला फतेराय, गोपालनगर, शिवाल मठिया, वशिष्ठ नगर, तिलापुर आदि गांवों के सामने घाघरा खतरे के बिंदु से लगभग आधा मीटर ऊपर बह रही है. मांझी के जय प्रभा सेतु से लेकर सिताबदियारा तक घाघरा का कहर जारी है. लगातार घाघरा किसानों के उपजाऊ भूमि को निगल रही है. इसी घाघरा कटान से चांददियर के किसान भी बूरी तरह तबाह हैं, किंतु उनकी दशा पूछने आज तक कोई नहीं आया.

सिकंदरपुर प्रतिनिधि के मुताबिक क्षेत्र में घाघरा नदी का पानी तेजी से बढ़ता जा रहा है. बाढ़ का पानी नदी के पेटा से निकलकर ऊपरी भाग उनके खेतों में फैलता जा रहा है. खेतों में बोई गई किसानों की विभिन्न फसलों डूबती जा रही हैं. इसी के साथ दियारा सीसोटार व मंगही में कटान क्रमशः तेज होते जाने से किसानों के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी हैं. जमीन व फसलों की बर्बादी ने उन्हें झकझोर कर रख दिया है.

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पिछले 24 घंटे में नदी के जलस्तर में जहां 2 फीट की वृद्धि हुई है, वही 5 बीघा क्षेत्रफल की भूमि फसलों सहित कटान की भेंट चढ़ नदी में समाहित हो चुकी है. यह सिलसिला लगातार जारी है. सर्वाधिक दयनीय स्थिति दियारा सीसोटार व मंगही की है, जहां जमीन के बड़े-बड़े टुकड़े पानी में बैठते जा रहे हैं. यहां परवल, बाजरा व कन्द की फसलें नष्ट हो गई है. जबकि पानी में डूबती जा रही धान के फसल के भी नष्ट हो जाने का खतरा बढ़ गया है. उधर प्रमोद चौधरी, द्वारिका राजभर, राम आशीष यादव सहित आधा दर्जन किसानों के डेरे कटान की भेंट चढ़ चुके हैं. जिससे अन्य किसान अपना डेरा छोड़ माल मवेशियों के साथ रिंग बंधा पर शरण लेने लगे हैं. इसी के साथ नदी के पुराने चरणों में बाढ़ का पानी भरते जाने से किसान दीवारों में आवागमन की कठिनाई झेलने को विवश है.

बिल्थरारोड प्रतिनिधि के मुताबिक घाघरा नदी का जलस्तर बुधवार को खतरा निशान से 45 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया और अभी भी नदी में लगातार बढ़ाव जारी है. इससे तटीय गांवों के लोगों में बेचैनी होने लगी है. बुधवार को तुर्तीपार डीएसपी हेड पर केंद्रीय जल आयोग द्वारा नदी का जलस्तर 64.460 मीटर दर्ज किया गया.

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