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सरकार के आदेश और नौकरशाही के पेंच का उदाहरण
सुखपुरा (बलिया)। क्षेत्र के भोजपुर मठिया निवासी प्रेमशंकर सिंह बेरुवारबारी ब्लाक के बड़े बाबू के पद से जून 2016 मे अवकाश प्राप्त किए. लेकिन आज तक न तो उनको पेन्शन मिलना शुरू हुआ और न ही उनको पीएफ का पैसा मिल सका. अपने धन के लिए वह कभी आजमगढ़, तो कभी बलिया का चक्कर लगा रहे है. उनके सामने आर्थिक समस्या उत्पन हो गई है.
सूबे के मुखिया लाख कोशिश कर लें, लेकिन उनकी बात का असर नहीं दिख रहा है. सरकार चाहती है कि अवकाश प्राप्त कर्मचारी को उनका पेन्शन व अन्य फण्ड तत्काल कागजी कार्रवाई के बाद मिल जाए. लेकिन प्रेमशंकर सिंह को उनका हक कब मिलेगा ? 30 जून 2016 को अवकाश प्राप्त करने के बाद आज तक वह विभाग का चक्कर लगा रहे है. डीडीओ दफ्तर के बाबू महेश ने बताया कि उनका कागज आजमगढ़ गया था. लेकिन आपत्ति दिखा कर वहा से वापस आ गया. पूरे जीवन ईमानदारी से नौकरी करने वाले प्रेमशंकर अपने पेन्शन के चलते कही मानसिक संतुलन न खो दे. परिवार के लोग यही सोच कर परेशान हैं.
प्रेमशंकर सिंह की पत्नी सावित्री देवी कहती है कि योगी जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद हम लोगों को लगा कि अब काम हो जाएगा. लेकिन इस शासन मे भी अधिकारी व कर्मचारी उसी स्थिति में है. कहा कि अब लग रहा है कि कोर्ट मे अपनी अर्जी डाल कर ही न्याय मिल पाएगा.