
इटवा सीट से विधानसभा स्पीकर और सपा नेता माता प्रसाद पांडेय को हार का सामना करना पड़ा
गोरखपुर से यशोदा श्रीवास्तव
विधानसभा चुनाव परिणाम पर गौर करने लायक शायद कुछ नहीं है. परिणाम अप्रत्याशित रहा. शायद बीजेपी ने भी ऐसा नहीं सोचा होगा. गोरखपुर- बस्ती मंडल में एक-दो को छोड़कर सभी सीटें बीजेपी के खाते में गईं. सिद्धार्थनगर की सभी पांच सीटों पर भाजपा ने अपना परचम लहराया. जिले के इटवा विधानसभा सीट से विधानसभा स्पीकर और सपा के वरिष्ठ नेता माता प्रसाद पांडेय को हार का सामना करना पड़ा. वहीं शोहरतगढ़ विधानसभा सीट से भाजपा समर्थित अपना दल प्रत्याशी को जीत मिली. बस्ती जिले के पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा ने कब्जा कर लिया. संतकबीरनगर जिले की तीनों सीटें बीजेपी के खाते में गईं.
गोरखपुर मंडल के जिलों की बात करें तो गोरखपुर, देवरिया, पडरौना और महराजगंज जिलों में भाजपा ने अपना परचम लहराया, लेकिन अचरज की बात यह रही कि महराजगंज जिले की नौतनवा सीट पर निर्दल प्रत्याशी अमनमणि की सुनामी देखी गई. इस सीट पर 34 हजार वोटों के बड़ी अंतर से अमनमणि ने जीत दर्ज की. इस सीट के विधायक यूं तो अमनमणि होंगे, लेकिन जनता के दिलों पर राज तो उनकी दोनों बहनों का होगा. अमनमणि जेल में सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि के पुत्र हैं. अपनी पत्नी सारा की हत्या में अमनमणि भी डासना जेल में बंद थे. उन्हें ऐसे समय जमानत मिली, जब उनकी जीत का परिणाम आया. पूर्वी उत्तरप्रदेश का यह चुनाव परिणाम निसंदेह चौकाने वाला रहा.
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विधानपरिषद के सभापति रहे गणेश शंकर पांडेय भी चुनाव हार गए. जिले की पनियरा विधानसभा सीट से भाजपा के ज्ञानेंद्र सिंह ने उन्हें पटकनी दी. ज्ञानेंद्र को 76,163 वोट मिले, जबकि गणेश 33,976 वोट ही पा सके. कांग्रेस की तलत अजीज को 30,414 वोट हासिल हुआ. स्थानीय निकाय क्षेत्र से विधानपरिषद के लिए चुने जाते रहे. गणेश पांडेय दूसरी बार पब्लिक का चुनाव लड़े थे. इसके पहले वे महराजगंज से लोकसभा का चुनाव लड़कर हार चुके हैं.