सूर्योपासना का प्रमुख पर्व डाला छठ सोमवार की भोर में उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देने का साथ ही हुआ संपन्न

सिकंदरपुर, बलिया. सूर्योपासना का प्रमुख पर्व डाला छठ सोमवार की भोर में उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देने का साथ ही संपन्न हो गया। भोर में साढ़े तीन बजे से ही व्रत महिलाएं छठ गीत गाती परिवार के सदस्यों के साथ घाटों और सरोवरों के घाटों पर पहुंचीं। बहुत से लोग गाजे-बाजे के साथ जा रहे थे।

 

घाटों पर छठ गीत गूंजते रहे। महिलाएं उगी हे सुरुज देव भेल भिनसरवा… आदि गीत गाकर सूर्य से उगने की विनती कर रही थीं। सूर्योदय होते ही महिलाओं ने कमर तक पानी में खड़े रहकर अर्घ्य दिया और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।

 

नगर के चतुर्भुज नाथ, किला का पोखरा, बीज गोदाम, बंंगरापर, हिरिनदी, डूंहाबिहरा घाट समेत अन्य घाटों पर जाने के लिए व्रती महिलाएं और उनके परिजन भोर में साढ़े तीन बजे से ही घरों से निकलने लगे। पांच बजते-बजते शहर के प्राय: सभी छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। घाटों पर पहुंची व्रती महिलाओं ने वेदी को गंगाजल से धोया। छह ईख को वेदी के पास लगाया। फिर दीपों में घी और बाती सजाकर उसे प्रज्ज्वलित कर पूजन-अर्चन शुरू किया।

 

सूर्योदय से कुछ पहले ही व्रती महिलाएं पानी में सूप लेकर खड़ी हो गईं। सभी की निगाह सूर्यदेव की ओर थी। जैसे ही भगवान भाष्कर के दर्शन हुए श्रद्धालु उनका जयघोष करने लगे। इसके बाद दूध का अर्घ्य देने का क्रम शुरू हुआ। पुत्र एवं परिवार के अन्य सदस्यों सहित घाटों पर मौजूद लोगों ने व्रती महिलाओं को छह बार अर्घ्य दिया। समूह में मौजूद महिलाओं की ओर से गाए जाने वाले छठ मैया के गीत से पूरा वातावरण गुंजायमान रहा।

 

कई गंगा घाटों पर समाजसेवियों की तरफ से भक्तों के लिए चाय, अर्घ्य देने के लिए नि:शुल्क दूध की व्यवस्था की गई थी। प्रभारी निरीक्षक योगेश यादव दलबल के साथ निरंतर घाटों पर भ्रमण करते रहे।

(सिकंदरपुर संवाददाता संतोष शर्मा की रिपोर्ट)

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