बैरिया, बलिया. बैरिया क्षेत्र के तालिबपुर गांव निवासी यशवंत सिंह ने न सिर्फ गांव का बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन किया है। यशवंत सेनामें लेफ्टिनेंट बने हैं। तालिबपुर निवासी संजय कुमार सिंह के पुत्र यशवंत सिंह के सेना में लेफ्टिनेंट बनने पर पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है.
लेफ्टिनेंट बनने के बाद रविवार को देर शाम अपने गांव पहुंचे यशवंत का विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह सहित सैकड़ों ग्रामीणों ने गांव के बुढ़वा शिव जी मंदिर पर भव्य स्वागत किया. विधायक ने यशवंत के पिता व गांव वालों को शुभकामना देने के साथ ही युवाओं से यशवंत से प्रेरणा लेने को कहा.
यशवंत के पिता संजय कुमार सिंह सिकंदरपुर स्थित दर्शन अकादमी में प्रधानाचार्य है. उनकी मां संगीता सिंह गृहिणी हैं. तीन भाई बहनों में सबसे बड़े यशवंत हैं. उनसे छोटी बहन हर्षिता सिंह बीएचयू में बीए की छात्रा है जबकि छोटी बहन अपराजिता सिंह 12वीं की छात्रा है.
यशवंत की बुनियादी शिक्षा द्वाबा चिल्ड्रन स्कूल रानीगंज में हुई थी. उसके बाद उनका चयन झारखंड के तिलैया स्थित सैनिक स्कूल के लिए हो गया. सैनिक स्कूल में 12वीं की परीक्षा से पहले ही यशवंत का चयन एनडीए के लिए हो गया. एनडीए की पढ़ाई खड़कवासला, पुणे में 3 साल तक करने के बाद चौथे साल उन्हें प्रशिक्षण के लिए आईएमए देहरादून भेजा गया. जहां से 1 साल प्रशिक्षण लेने के बाद 12 जून को पासिंग आउट परेड के बाद लेफ्टिनेंट पद से नवाज कर बिहार रेजिमेंट में भेजा गया है.
यशवंत की पहली पोस्टिंग अरुणाचल प्रदेश में इन्फेंट्री में हुई है. यशवंत ने बताया की उनकी जन्मभूमि जो पवित्र नदियों गंगा व सरजू नदी के बीच की है, यह धरती ऋषि-मुनियों व सेनानियों तथा देश भक्तों की है. इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए जो भी जिम्मेदारी मिलेगी उसे पूरी निष्ठा व अनुशासन से निभाऊंगा.
यशवंत ने युवाओं व छात्रों को संदेश देते हुए कहा रोज महज 6 घंटा मनोयोग से पढ़ाई करें. उन्हें उनकी अपेक्षित मंजिल जरूर मिलेगी.
यशवंत के नाना स्वर्गीय कैलाश सिंह बैरिया कोनिया टोला निवासी भारतीय सेना में सूबेदार रह चुके हैं तथा मामा राजू सिंह कैप्टन से रिटायर है. बताते चलें कि बलिया के ही रुद्रपुर गायघाट के रहने वाले मोहित ओझा भी सेनामेंलेफ्टिनेंट बने हैं। मोहित के पिता राकेश ओझा वर्तमान में सतनी सराय अशोक नगर में रहते हैं. मोहित ने दसवीं तक की पढ़ाई बलिया के होली क्रॉस स्कूल से की. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे दिल्ली चले गए.
बलिया के मोहित ओझा बने सेना में अधिकारी
( बैरिया से वीरेंद्र मिश्र की रिपोर्ट)