निराला बिदेशिया
यह तिस्ता है. तिस्ता सिंह. छपरा की रहनेवाली. कम उम्र में ही सधी हुई कलाकार. अपने बड़े भाई तुल्य, बिहार के चर्चित कलाकार उदय नारायण सिंह की बिटिया. पटना एम्स में भर्ती है. बीमारी यह थी कि इसका बुखार जा नहीं रहा था. तमाम टेस्ट हो गए तब भी मालूम नही चल सका कि आखिर बुखार आ ही क्यों रहा बार बार, आ रहा तो किसी भी दवा से जा क्यों नही रहा? अब निमोनिया डिटेक्ट हुआ है तो आईसीयू में है.
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बहुत देर तक इसके पास रहकर लौटा हूँ. लौटा हूँ तब से इसका चेहरा, दर्द से इसकी तड़प मन मे बैठा हुआ है. जब जब ये अस्पताल में अपनी पूरी ताकत लगाकर कह रही थी अपने पिता से कि पापा जी कुछु दे द कि एह कष्ट से मुक्ति मिलो… तब तब कलेजा निकल जा रहा था. इतनी छोटी सी बच्ची की तड़प मन मे ऐसा बैठ गया है कि न किसी से मिलने का मन कर रहा, न बोलने बतियाने का. तिस्ता से बहुत देर तक बात करने की कोशिश करता रहा. उसे समझाते रहा. मैं ऐसे मामलों में घोर ईश्वरवादी इंसान हूँ. न रोज पूजा पाठ रोज करता हूँ न धार्मिक स्थानों या मंदिरों में आना जाना होता है. ईश्वर से लेन देन का रिश्ता कभी नहीं रखा. ईश्वर से कुछ भी मांगने में हमेशा परहेज और कंजूसी का भाव रहा है, लेकिन ऐसी विशेष स्थितियों में सिर्फ ईश्वर से ही गुहार लगाता हूँ और आज तक कभी निराश नहीं होना पड़ा. तिस्ता से मिलकर आने के बाद ईश्वर से यही मांग रहा हूँ कि इतनी कम उम्र की बच्ची जीवन से मुक्ति की बात करे तो फिर भगवान किसलिए? दूसरे भगवान डॉक्टर समझ नही पा रहे, पार नही पा रहे तो अब असल भगवान ही चमत्कार करें.
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