सरकारी दफ्तरों में आम आगन्तुकों के लिए पेयजल, शौचालयों की कोई व्यवस्था नहीं

सरकार की महात्वाकांक्षी योजना ओडीएफ की करना पड़ता ऐसी तैसी
भीषण गर्मी के इस दौर में शुद्ध पेयजल के भी पड़े लाले

बैरिया(बलिया)। स्वच्छता व शौचालयों पर यूँ तो केन्द्र व प्रदेश सरकार का पूरा पूरा जोर है. पेयजल की व्यवस्था के लिए काफी फंड दिए जा रहे हैं. लेकिन शुक्र मनाएं कि बैरिया तहसील, थाना, ब्लाक, सीएचसी सोनबरसा, थाना दोकटी, ब्लाक मुरलीछपरा, पीएचसी कोटवां, मुरलीछपरा छपरा आदि सरकारी दफ्तरों में हों और आपको प्यास अथवा शौचालय जाने की जरूरत न पड़े. जी हां यहां के सरकारी दफ्तरों में आम आगन्तुक पीड़ितों, फरियादियों के लिए पेयजल व शौचालय की व्यवस्था राम भरोसे है.

बात करें अगर सबसे बड़े कार्यालय तहसील कार्यालय की तो यहां सार्वजनिक रूप से दो पानी के रूप मे बीमारी उगलने वाले(आर्सेनिक) वाले हैण्डपम्प हैं. जिसे देख कर प्यासों की प्यास सूख जाती है. हां सांसद द्वारा लगाया गया वाटर प्यूरीफायर कोल्ड वाटर पोस्ट है. जो कभी कभार काम करता है. गत एक पखवारे से खराब पड़ा है. सम्बन्धित जेई और ठेकेदार को लोग कई बार फोन कर चुके हैं. वो इस पर ध्यान नहीं देते.
अब रही बात तहसील परिसर में शौचालय की तो वर्ष 2006 में बैरिया ग्राम पंचायत द्वारा यहां शौचालय तो बना लेकिन पानी के अभाव में यह एक दिन भी नहीं खुला. समय के साथ वह देखभाल व साफ सफाई के अभाव में खराब हो गया है. काम लायक नहीं रहा. दूसरा शौचालय अधिवक्ता भवन के पीछे है वह भी खराब है. अब तहसील परिसर में आने वाले फरियादियों या जरूरत मंदों को शौच लग गया तो वह तहसील कम्पाउंड के पीछे जाकर सड़क के किनारे दिन दोपहर में ही बैठ कर भारत सरकार की अति महात्वाकांक्षी ओडीएफ योजना की ऐसी तैसी करते हैं. यद्यपि कि तहसील में और भी शौचालयों की भरमार है. लेकिन वह क्वार्टरों में, आफिसों में और कर्मचारियों के लिए है. वहां ताले बंद रहते हैं. जरूरत पर खोल लिए जाते हैं. सम्रान्त व जागरूक लोग तो जरूरत पड़ने पर उन्हें खुलवा लेते है. लेकिन जन सामान्य के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नही है

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