56 गाँवों की लगभग 85,000 आबादी का संकट गहराया

रविशंकर पांडेय

बलिया। नेपाल के पहाड़ों से लगातार बारिश का पानी आने से घाघरा नदी के जलस्तर में अनवरत वृद्धि जारी है. कटान से सैकड़ों बीघा जमीन नदी में विलीन हो चुकी है. महसी तहसील के घाघरा नदी में तीन बैराजों का पानी पहुंच गया है. बैराजों से 2.83 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हो रहा है. इससे घाघरा नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया है. बलिया जिले के के दक्षिणी छोर पर गंगा, उत्तरी छोर पर घाघरा और पूर्वी छोर पर दोनों नदियां एक साथ मिल जाती हैं. यानि तीनों तरफ से बलिया जनपद नदियों से घिरा हुआ है. ऐसे में घाघरा नदी के जलस्तर में अनवरत वृद्धि मुसीबत का सबब बनता जा रहा है.

बाढ़ खण्ड के मीटर गेज के अनुसार सोमवार की सुबह 8 बजे डीएसपी हेड पर 64.160 मापा गया, जब कि खतरा बिंदु 64.01 है, उच्चतम खतरा बिंदु 66.00 है. ऐसे में कटान से किसानों के खेत सैकड़ो बीघा रोज घाघरा नदी में विलीन हो रहे हैं. 56 गाँवो की लगभग 85,000 आबादी को घाघरा नदी प्रभावित करती है. मनियर के दियारा क्षेत्र के रिगवन छावनी, नवकागाँव, बिजलीपुर, कोटवा, मल्लाहि चक, चक्की दियर, टिकुलिया आदि गाँवों के किसानों के लगभग हजारों एकड़ खेत घाघरा में समाहित हो चुके हैं.

उधर बिल्थरारोड में जलस्तर के दबाव में तुर्तीपार मुक्तिधाम के समीप साहनी बस्ती का इलाका पूरी तरह से पानी से घिर चुका है. यहां बना रास्ता नदी में डूब चुका है. इसी बस्ती में गणेश साहनी (80) की मौत हो जाने के बाद ग्रामीणों द्वारा तीन फीट पानी से होकर शव को बाहर निकाला गया. पानी से घिरे मुक्तिधाम के ऊंचे टीले पर नदी के बीच में ही अंतिम संस्कार किया गया. गांव स्थित त्यागी बाबा के कुटी के सामने का मार्ग पूरी तरह से नदी में डूब गया है और तटवर्ती इलाकों के रिहायशी क्षेत्र से नदी की लहरें लगातार टकरा रही है.

उधर, लोकनायक जयप्रकाश नारायण के गांव सिताबदियारा में यूपी-बिहार सीमा की आबादी को बाढ़ व कटान से बचाव के लिए रिग बांध का पूर्ण निर्माण यूपी बलिया के बाढ़ खंड विभाग की सुस्ती के चलते फंसा हुआ है. 125 करोड़ की इस परियोजना की नींव वर्ष 2018 में रखी गई. बिहार और यूपी के साझे वाली इस परियोजना को बिहार ने वर्ष 2019 में ही पूरा कर लिया. इस पर कुल 85 करोड़ रुपये खर्च हुए. वहीं यूपी सीमा में लगभग 40 करोड़ की लागत से बनने वाला रिग बांध अभी निर्माणाधीन है. अब बरसात के चलते गंगा और घाघरा दोनों के किनारे कार्य रूक गया है. इससे यही लगता है कि इस साल भी यूपी के कारण ही जेपी के गांव की लगभग 60 हजार की आबादी को बाढ़ झेलना होगा.

किसानों के हजारों एकड़ फसल जिसमे बाजरा, मक्का, गन्ना, धान आदि फसलें घाघरा के पानी से बर्बादी के कगार पर है. तटवर्ती गांव की उपजाऊ जमीन को हमेशा की तरह इस बार भी धीरे-धीरे नदी काटकर अपने आगोश मे ले रही है. इसके चलते इलाके के लोग परेशान हैं. नदी का रौद्र रूप देखकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें तन गई हैं. विवशता तो यह है कि उन्हें अपनी जमीन को बचाने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा. सुरसा की तरह आए दिन नदी कई बीघा उपजाऊ जमीन को अपने आगोश में ले रही है. पेड़ भी नदी में समाहित हो रहे हैं. इसके चलते दियारे के लोग खौफजदा है. उनका कहना है कि अभी यह हालत है तो नदी का रौद्र रूप सामने आने पर क्या होगा? राहत आपदा विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार बलिया में एक एनडीआरएफ की टीम लगाई गई है. साथ ही समस्या गहराने पर संबंधित जिले के अधिकारी को अलर्ट किया गया है.

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