शहीद हरेंद्र : खींच दी अपने खूं से ज़मी पर लकीर…

बिल्थरारोड (बलिया)। जम्मू के राजौरी सेक्टर में मंगलवार को बलिया के एक और जांबाज ने अपने देश के लिए कुर्बानी दे दी. शहीद जवान हरेन्द्र यादव का पार्थिव शरीर बृहस्पतिवार के सुबह  उसके गांव हब्सापुर पहुंचते ही पूरे क्षेत्र में कोहराम मच गया. शहीद जवान हरेन्द्र यादव का अंतिम संस्कार गांव पर ही रात्रि 8:30 बजे किया गया.

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प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कबीनां मन्त्री जियाउद्दीन रिजवी ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर अंतिम विदाई दी. इसके बाद भाजपा सांसद रवीन्द्र कुशवाहा, बैरिया विधायक जयप्रकाश अंचल, विधायक गोरख पासवान, जिलाधिकारी गोविन्द एनएस राजू, पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण, सीओ रसड़ा श्रीराम,एसओ नगरा,एसओ भीमपुरा, उपजिलाधिकारी बिल्थरारोड बाबुराम, नायाब तहसीलदार चन्द्रभूषण प्रताप, ज़िला पंचायत चेयरमैन सुधीर पासवान, भाजपा नेता इंजीनियर प्रवीण प्रकाश, शिवदेनी उर्फ़ साधू, सूर्यबल्ली राम, जिला पंचायत सदस्य टियन यादव, अमरजीत यादव आदि ने पुष्प अर्पित कर शहीद को अंतिम विदाई दी.

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शहीद की शव यात्रा में भारी संख्या में लोग शामिल रहे. सेना के जवानों ने शहीद के शव को गार्ड आफ ऑनर दिया. तत्पश्चात मातमी धुन बजाकर शहीद को अंतिम सलामी दी. साथ ही सेना के जवानों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारा लगाया और  शहीद हरेन्द्र यादव अमर रहे, जब तक सूरज चांद रहेगा हरेन्द्र तेरा नाम रहेगा.

सन 2003 में फौज में भर्ती हुए हरेन्द्र यादव पुत्र लल्लन यादव निवासी अब्बासपुर (हब्सापुर) पोस्ट रुपवार भगवान पुर, थाना भीमपुरा जनपद बलिया की ड्यूटी जम्मू के राजौरी सेक्टर में भारत पाकिस्तान के बार्डर पर तैनात था. मंगलवार को ड्यूटी करते समय पाकिस्तान के द्वारा दागे गए मोर्टार से घायल होकर गिर गया और देखते ही देखते आधे घंटे में हरेन्द यादव शहीद हो गया.
हरेन्द्र  यादव के शहीद होने की सूचना मिलते ही उसके परिवार समेत पूरे गांव में मातम छा गया और उसके घर पर पूरे दिन क्षेत्र के लोगों का तांता लगा रहा.

हरेन्द्र की मां और पत्नी का रो रो कर बुरा हाल है. हरेन्द्र अपने तीन बहनों के साथ मां बाप का इकलौता पुत्र था उसके पिता का काफी दिन पहले ही मौत हो चुका है. हरेन्द्र अपने पीछे अपनी पत्नी ज्ञान्ति देवी के साथ साथ अपने एक बेटे आदित्य (8) और दो मासूम बेटियों रिशु (6) और श्रेया (2) को छोङ़ गया है. हरेन्द्र अपने मां बाप और परिवार का इकलौता सहारा होने के कारण उसके परिवार पर दुःखों का पहाङ टूट पडा.

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