2017 के चुनाव में क्या होगा बलिया का मुद्दा

स्वतंत्रता संग्राम हो या सियासत, देश में बलिया को ऊंचा मुकाम हासिल है. मगर उद्योग के नाम पर उसके खाते में आए सिर्फ pathak_50दो कारखाने – एक चीनी मिल और एक कताई मिल. जो यहां के जनप्रतिनिधियों के उदासीनता के चलते कई सालों से बंद पड़े है. जिससे लोगो को रोजगार के लिए दूसरे प्रान्तों के महानगरों के तरफ पलायन करना पड़ रहा है. रही सही कसर पूरी कर देती हैं यहां की जर्जर सड़कें, विकास में सबसे बड़ी बाधा तो वहीं हैं. ऐसा मानना है बलिया लाइव के वरिष्ठ पत्रकार कृष्णकांत पाठक का. जी हां, एबीपी न्यूज की कौन बनेगा मुख्यमंत्री की नुक्कड़ बहस की शुरुआत तो श्री पाठक ने कुछ ही इसी अंदाज में किया. आइए जानते हैं इस बहस में और किस किस ने शिरकत की, साथ ही क्या कहा.

हर साल जमींदोज हो जाते हैं आशियाने

बाढ़ और कटान से नदी के किनारे रहने वाले हजारो लोगों की खेती वाली जमीनों के साथ उनके आशियाने भी जमींदोज हो नदी में समा जाते है तो वहीं सैकड़ों घर गंगा और घाघरा में अब तक विलीन हो चुके है.

2017 विधानसभा चुनाव में विकास रहेगा अहम मुद्दा

बलिया में अब तक तो मतदान जातिगत आधार पर होता आया है मगर 2017 में होने वाले चुनाव में इस बार युवाओं की में बढ़ती दखल अन्दाजी ने विकास को अहमियत दिया है और इस बार के चुनाव में विकास अहम मुद्दा रहेगा. उत्तर प्रदेश के सबसे पूर्वी छोर पर गंगा-घाघरा नदी के किनारे बसा है बलिया. आपको बता दें कि बलिया ना केवल ऐतिहासिक और धार्मिक बल्कि राजनीतिक लिहाज से भी देश में खासा अहमियत रखता है.

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मंगल पाण्डेय की जन्मस्थली

बलिया देश के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी शहीद मंगल पाण्डेय और शेरे बलिया चित्तू पाण्डेय की जन्मस्थली है. तो वहीं बलिया महर्षि भृगु मुनि की तपोभूमि भी है.

इसके साथ ही बलिया लोकनायक जय प्रकाश नारायण और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जैसे समाजवादियों का गढ़ भी रहा है.

बागी बलिया

आपको बता दें कि अपने बगावती तेवर के कारण इसे बागी बलिया भी कहा जाता है.

राजनितिक हैसियत पर नजर डालें तो बलिया की माटी ने देश को चन्द्रशेखर जैसा दिग्गज नेता और प्रधानमंत्री दिया है. बावजूद इसके बलिया विकास के मामले में आज भी पीछे रह गया है.

बलिया में हैं 7 विधानसभा सीटें

सात विधानसभा सीटों वाले बलिया में 5 सीट समाजवादी पार्टी के पास है तो वहीं एक-एक सीट बीएसपी और बीजेपी के झोली में है. देश की दिशा और दशा तय करने वाला बलिया विकास के पटल पर सबसे पिछड़ा हुआ है. (साभार – एबीपी न्यूज)

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