

जिले में प्रधानाध्यापकों की लापरवाही से बिन बिजली विद्यालयों में संवर रहा बच्चों का भविष्य
बलिया. प्रधानाध्यापकों कि लापरवाही ने आज उनके कार्य शैली पर प्रश्न खड़ा कर दिया है. 50 रुपये खर्च करने की कंजूसी ने जिले के 87 विद्यालय को बिजली कनेक्शन से वंचित कर रखा है.
इन विद्यालयों को कायाकल्प के 19 मानक पूरे करने हैं. इसमें विद्यालयों में बिजली आपूर्ति प्राथमिकता पर हैं. इसके लिए तत्काल पोर्टल पर आवेदन करना था, जिसके लिए ₹50 खर्च होते हैं, मगर इस धन के लिए बजट का इंतजार कर रहे जिम्मेदारों ने आवेदन नहीं किया.
जिले में 2249 परिषदीय स्कूल है. इनमें 1598 प्राथमिक 259 उच्च प्राथमिक और 352 कंपोजिट विद्यालय हैं, जहां करीब तीन लाख एक हजार बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं.
परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को निजी स्कूल जैसी सुविधा देने के लिए शासन की ओर से विभिन्न योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. इसके तहत डेस्क व बेंच की सुविधा के साथ ही बिजली की रोशनी व पंखे इत्यादि की व्यवस्था भी विद्यालयों में मुहैया कराई जा रही है.
अधिकांश विद्यालयों में विद्युतीकरण कराया गया है. जिन विद्यालयों में बिजली कनेक्शन नहीं है उसमें पढ़ने वाले बच्चे गर्मी से परेशान.
जिले में लगभग 87 विद्यालय ऐसे हैं जहां अभी तक बिजली कनेक्शन की सुविधा नहीं है.

इसी कारण यहां पढ़ने वाले लगभग छह हजार छात्र-छात्राओं को कक्षा में बिना पंखा एवं बल्ब के पढ़ाई करने को विवश होना पड़ता है.
उधर शिक्षा क्षेत्र 15 के अधिकांश विद्यालयों में विभूति संयोजन नहीं है. इसके अलावा कहीं शौचालय कि नहीं है तो कहीं हैंड वॉश की व्यवस्था तक नहीं है. शिक्षा क्षेत्र नगर के नौ विद्यालयों में विद्युत कनेक्शन नहीं है. विद्यालय भवन से दूर-दूर तक ना तो विद्युत पोल ही है ना ही तार का पता है. छात्र अंधेरे में पढ़ाई करते हैं.
बोले बेसिक शिक्षा अधिकारी
बेसिक शिक्षा अधिकारी मनीष सिंह ने बताया कि विद्यालय के प्रधानाध्यापकों को बिजली कनेक्शन पाने के लिए तत्काल पोर्टल पर आवेदन करने के लिए निर्देशित किया गया है. साथ ही बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता को भी विद्युत संयोजन के लिए पत्र लिखा गया है.