आजमगढ़/कानपुर। आजमगढ़ जिला मुख्यालय स्थित दीवानी न्यायालय के समीप एक आरक्षी का शव मिला, जबकि कानपुर के गजनेर थाना क्षेत्र के पामा चौकी में तैनात सिपाही संदिग्ध हालात में मृत पाया गया. आजमगढ़ वाले मामले में तो पुलिस ने किसी दुर्घटना की आशंका जताई है, जबकि कानपुर प्रकरण में परिवारीजनों ने हत्या का आरोप लगाकर जमकर हंगामा किया.
बलिया जिले के रसड़ा कोतवाली क्षेत्र के नागपुर ग्राम निवासी 35 साल के रमेश यादव पुत्र दया शंकर साल 2006 में पुलिस में आरक्षी पद पर नियुक्त हुए थे. फिलहाल उनकी तैनाती आजमगढ़ जिले के अभियोजन कार्यालय में थी. मंगलवार की सुबह आरक्षी रमेश यादव का दीवानी न्यायालय के समीप चर्च चौराहे पर पड़ा मिला. पोस्टमार्टम के बाद दोपहर में शव को पुलिस लाइन परिसर में लाया गया. डीआईजी विजय भूषण व एसपी रविशंकर छवि सहित अन्य पुलिस अधिकारियों ने दिवंगत आरक्षी को अंतिम सलामी दी. इसके बाद उनके शव को कंधा भी दिए. घटना की सूचना पाकर वहां पहुंचे परिजन शव लेकर घर के लिए रवाना हो गए. रमेश यादव की चार बेटियां बताई जाती है.
इसी क्रम में गश्त पर निकले कानपुर के गजनेर थाना क्षेत्र के पामा चौकी में तैनात सिपाही नरेश चंद्र यादव (57) की सोमवार देर रात गोली लगने से मौत हो गई. उन्हें घायलावस्था में रनिया से कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. सूचना पर कानपुर में रहने वाले परिवारीजन रीजेंसी अस्पताल पहुंचे गए और हत्या का आरोप लगाकर में हंगामा करने लगे. कानपुर देहात के एसपी राधेश्याम का कहना है कि प्रथम दृष्ट्या मामला आत्महत्या का ही है. फोरेंसिक टीम मौके पर जांच कर रही है, रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.