बलिया. बलिया के गड़वार स्थित द होराइजन स्कूल में साहित्य जगत के जाने माने कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित डॉ. केदारनाथ सिंह जी की जयंती पर विशेष प्रार्थना सभा आयोजित कर और विद्यालय के प्रधानाचार्य ने उनके चित्र पर पुष्प माला चढ़ाकर जयंती मनायी गयी।
छात्र छात्राओं ने डा. केदारनाथ जी के जीवन पर आधारित नुक्कड़ नाटक कर उनके जीवन पर प्रकाश डाला।
विद्यालय के प्रधानाचार्य ने छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा की डा. केदारनाथ बहुत ही सरल स्वाभाव और व्यक्तित्व के धनी थे। वे हमारे बलिया जिले के चकिया के रहने वाले थे। उनकी रचनाओं में खासकर रचना रही…
“विजली की तरह कभी मत गिरना
और कभी गिर भी पड़ो तो दूब की तरह उठ पड़ने को हमेशा तैयार रहना।”
उन्होंने कहा कि मैं उनके सानिध्य में रहा। ये हमारा सौभाग्य रहा। हमें उनसे सिखने को बहुत कुछ मिला।
जाऊंगा कहां , रहूंगा यही, किसी किवाड़ परे , हाथ के निशान की तरह बड़ा रहूंगा।
स्वर्गीय डा. केदार नाथ सिंह के साथ बलिया का रिश्ता इतना मधुर और सशक्त है कि इसकी गूंज स्मृतियों में भी सुनाई देती है।
कवि को जन्मदिवस की बहुत-बहुत बधाइयां । इस जयंती पर विद्यालय के सारे शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थिति रहे।
(बलिया से ओम प्रकाश पाण्डेय की रिपोर्ट)