समाजसेवी श्री मिश्रा ने कहा कि जरूरतमंदों एवं असहायों की नि:स्वार्थ भाव से सेवा करना ही मनुष्य का परम धर्म होना चाहिए. प्रत्येक समर्थवान व्यक्ति को अपनी कमाई का कुछ भाग आर्थिक रूप से विपन्न लोगों की मदद करने में अवश्य खर्च करने चाहिए. यही वास्तविक पुण्य एवं धर्म है.