अचानक बीच में पहुंचते ही असंतुलित होकर नाव गंगा में डूब गई. इसमें बैठे शैलेंद्र पुत्र केदार, शनि पुत्र राजेंद्र, उधारी पुत्र राम प्रवेश, छोटू पुत्र धनजी, धुरेंद्र पुत्र लक्ष्मण, बिहारी पुत्र दीना, अर्जुन पुत्र विक्रम और नाविक अनिल पुत्र सुरेंद्र तैरकर गंगा से बाहर निकल गए.