
मंगल पांडेय ने 29 मार्च 1857 को देश को आजाद कराने के लिए ब्रिटानिया हुकूमत के खिलाफ जब बगावत की तो उन्हें दंड स्वरुप 8 अप्रैल 1857 को फांसी दी गई. उनकी बगावत से तिलमिलाए अंग्रेज अफसरों ने बलिया में स्थित उनके पैतृक गांव नगवा में फ़ौज की एक टुकड़ी भेजकर आग लगा दी. नतीजतन सभी लोग गांव छोड़कर भागने को मजबूर हुए.