अप्रैल में ही चेते होते तो आज नहीं टूटता रिंग बांध

बलिया तत्कालीन जिला प्रशासन व बाढ़ विभाग के अधिकारियों की अदूरदर्शिता के आरण अंततः शनिवार की दोपहर गंगा की लहरों ने रिंग बंधे को पराजित कर ही दिया. रिंग बन्धा टूटने से गोपालपुर, दूबेछपरा, उदईछपरा, प्रसाद छपरा आदि गांवों की लगभग 50 हजार आबादी पर मानों कहर टूट पड़ा है.

पीड़ितों की मदद के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने कसी कमर

यूं तो बाढ़ पीड़ितों के पुर्नवास और भोजन-पानी की व्यवस्था के लिए प्रशासन पिछले 10 दिनों से कटिबद्ध है. लेकिन इसकी वास्तविक रंगत तब देखने को मिली, जब पीड़ितों की मदद के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने कमर कस लिया.

दो दर्जन गांवों के पैतीस हजार लोगों का संकट गहराया

दुबेछपरा रिंग बांध टूटने से इलाके के लगभग दो दर्जन गांवों की 35 हजार की आबादी प्रभावित हुई है. इन ग्रामीणों के सर पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. जिला प्रशासन और स्वयं ग्रामीण बीते कई दिनों से बांध को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे. फिलवक्त दुबेछपरा ढाले पर भगदड़ के हालात हैं. हाईवे पर ट्रैफिक ठहर सा गया है. दुबे छपरा रिंग बांध प्राथमिक विद्यालय के सामने करीब 20 फीट की दूरी में टूटा है.

दुबेछपरा में शासन-प्रशासन का इम्तहान शुरू

हादसे की खबर मिलते ही मौके पर पहुंचे राम गोविंद चौधरी, नारद राय और नीरज शेखर. मंत्रियों ने मौके पर मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों से कहा- हमारे लिए यह परीक्षा की घड़ी है.

बलिया-बैरिया रोड पर अब दोपहिया वाहनों पर भी प्रतिबंध

राष्ट्रीय राजमार्ग की स्थिति भी गंभीर हो सकती है. इसको देखते हुए भारी वाहनों का प्रवेश पूर्णतया प्रतिबंधित कर दिया गया है. इस बंधा पर लोगों का अधिक दबाव न हो इसके लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों मीडिया कर्मियों तथा राजनेताओं के अलावे पब्लिक को जाने से मना किया जा रहा है

परेशानी का सबब बना बाढ़ देखने वाला हुजूम

दुबेछपरा रिंग बंधा टूटने कि खबर पूरे जिले में जंगल के आग कि तरह फ़ैल गयी. लोग एक दूसरे से इसकी जानकारी लेकर दुबेछपरा रिंग बंधे की ओर भागे जा रहे हैं. आलम यह है कि रिंग बंधा टूटने के एक घण्टे के भीतर वहां लगभग दस हजार से भी अधिक लोग बाढ़ देखने पहुच गए.

आखिरकार दुबेछपरा रिंग बांध टूट गया

प्राथमिक विद्यालय दुबेछपरा के सामने तेजधार के साथ गंगा का पानी दुबेछपरा गांव में दाखिल हो गया. गांव में भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई. सभी लोग राष्ट्रीय राजमार्ग पर जा पहुंचे हैं. दुबेछपरा रिंग बंधा टूटने की खबर पाते ही जिला मुख्यालय पर मौजूद आजमगढ़ की मंडलायुक्त नीलम अहलावत, जिला अधिकारी गोविंद राजू एऩएस, पुलिस अधीक्षक प्रभाकर चौधरी तथा आसपास की पुलिस व एनडीआरएफ की टीम जल पीएसी मौके पर पहुंच गई.

भरत सिंह ने गंगा पार गांवों में पहुंचाई सहायता

सांसद भरत सिंह ने बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र गंगा नदी के उस पार नौरंगा, चक्की और भुवाल छपरा, उदई छपरा गांवों में नाव से पहुंचकर वहां के लोगो का दुःख दर्द सुना.

रिंग बंधे को बचाने में एनडीआरएफ ने झोंकी ताकत

एनडीआरएफ के डीआईजी रणदीप राणा के दिशा निर्देशन में एनडीआरएफ की तीन टीमें लगातार दिन रात एक-कर बंधे को बचाने में जुटी हुई है. जिला प्रशासन तथा ग्रामीणों का सहयोग भी टीम को मिल रहा है.

द्वाबा के ग्रामीणों के जज्बे को सलाम, रिंग बांध फिलहाल सुरक्षित

ग्रामीणों के मेहनत रंग लाई. दुबेछपरा रिंग बांध अभी तक सुरक्षित. मौसम बिगड़ा जरूर, लेकिन बारिश नहीं हुई. प्रशासन और ग्रामीणों के सांझा प्रयास से बचाव कार्य जारी. गोपालपुर, दूबेछपरा व उदईछपरा के ग्रामीणों ने जागकर गुजारी रात.

देर रात कमिश्नर पहुंचीं दुबेछपरा रिंग बांध पर

आजमगढ़ मंडल की मंडलायुक्त नीलम अहलावत ने बुधवार को देर रात बलिया जनपद के दुबेछपरा रिंग बांध पर प्रभावित स्थल का स्थलीय मुआयना किया. साथ में मौजूद जिलाधिकारी गोविंद राजू एनएस, पुलिस अधीक्षक प्रभाकर चौधरी ने उन्हें स्थिति से अवगत कराया.

दुबे छपरा रिंग बांध वेंटिलेटर पर, भगदड़ सरीखे हालात

बैरिया तहसील अंतर्गत गोपालपुर, उदई छपरा और दुबेछपरा को बाढ़ से सुरक्षा देने वाले रिंग बांध की हालत नाजुक है. शासन द्वारा घोषणा कर प्रभावित गांवों को खाली करवाया जा रहा है.

विस्थापितों की मदद के लिए आगे आईं स्वयंसेवी संस्थाएं

बलिया जिले में बाढ़ की विनाश लीला से द्रवित होकर कई स्वयंसेवी संस्थाएं विस्थापित लोगों की मदद में हाथ बंटाने लगी हैं.

लोगों को बचाना ही है फर्स्ट च्वाइस – कमिश्नर

बाढ़ में फंसे लोगों को बचाना ही हमारी पहली प्राथमिकता है, सबसे पहले जीवन बचाया जाना चाहिए. ऐसा मानना है आयुक्त आजमगढ़ मण्डल नीलम अहलावत का. उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि सबसे पहले जीवन को बचाना है.

चौबेछपरा के बाद गोपालपुर और दुबेछपरा में संकट गहराया

बलिया पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में आ चुका है. विशेष तौर पर द्वाबा में संकट गहराता जा रहा है. चौबे छपरा के बाद अब गोपालपुर व दुबेछपरा के अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है. गंगा नदी खतरा बिन्दु के मध्यम स्तर पर पहुंच चुकी हैं.