कटान की सूचना पर सपा बांसडीह विधानसभा क्षेत्र के नेताओं ने पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी के सुपुत्र रंजीत चौधरी के नेतृत्व में चाँदपुर व महाराजपुर आदि क्षेत्रों का दौरा किया
सरयू नदी के जलस्तर घटने व लहरों के वेग के कुछ कम होने से जहां एक तरफ स्थानीय ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। वहीं उतरती लहरों से तेज हो रही कटान को लेकर किसान एक बार फिर काफी चिंतित भी हैं।
बांसडीह तहसील क्षेत्र में बाढ़ और सरयू के कटान प्रभावित गांवों को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी समाजवादी पार्टी के बीच जबरदस्त सियासी घमासान चल रहा है।
रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि अधिकारियों ने समस्याओं की रिपोर्ट शासन को गलत भेजी है, यहां तक कि जब इसके पूर्व इस सम्बंध में विभाग के जिम्मेदारों को मैंने पत्र लिखा तो जवाब में मुझे जो पत्र लिखा गया उसमें भी जमीनी हकीकत से इतर ही जवाब दिया गया।
सिकन्दरपुर तहसील क्षेत्र में सरयू नदी का पानी धीमी गति से बढ़ाव पर है। इसी के साथ विभिन्न गांवों में नदी का कटान भी जारी है जिससे तटवर्ती गांवों के निवासियों में चिंता का माहौल है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने बांसडीह क्षेत्र में बाढ़ और कटान को लेकर सरकार और अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाया हैं।
बैरिया तहसील क्षेत्र से गुजरने वाली गंगा नदी 3 सेंटीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ाव पर है। जिससे गंगा के किनारे बसे गोपालपुर ग्राम पंचायत के गंगा तटवासी ग्रामीण सहमे हुए हैं
पूर्व नेता प्रतिपक्ष व सपा के राष्ट्रीय सचिव राम गोविंद चौधरी ने सोमवार को प्रभावित गांवों का जायजा लिया। मौके से ही डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार से फोन पर वार्ता की
सिकंदरपुर विधायक मो. जियाद्दीन रिजवी ने कहा है कि जनपद के चार विधानसभा क्षेत्र के लोग बाढ़ और कटान से तबाह हैं और प्रदेश के जलशक्ति मंत्री बलिया का दौरा कर चले गए लेकिन एक भी पैसे के बचाव कार्य का घोषणा नही किए .
जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार के निर्देश पर गुरूवार को गंगा नदी के उजियार घाट पर बलिया में बाढ़ के दौरान किसी भी प्रकार की आपदा से निपटने के लिए मॉक ड्रिल (मूक अभ्यास) किया गया.
अपर जिलाधिकारी डीपी सिंह ने बताया कि वर्तमान में घाघरा नदी के बढ़े जलस्तर से बांसडीह तहसील के 38 परिवार तथा बैरिया तहसील क्षेत्र के 26 परिवार प्रभावित हैं
ग्रामीणों ने बताया कि हम लोगों ने अपने होश में ऐसा मंजर नही देखा था। हम लोग कुछ नहीं समझ पा रहे हैं कि क्या करें. जमीन भी नदी में समाहित हो गई है. बचा घर जिसे हम लोग ही उजाड़ रहे है