बलिया। “प्रेम बढयौ प्रह्लाद हि कौ जिन पाहन ते परमेश्वर काढ़े” गृहस्थ धर्म की चर्चा में बताया कि जो गृहस्थ अपने कर्म का पालन करते हुए यथा शक्ति दान, प्रभु-स्मरण, अतिथि सेवा, तीर्थ यात्रा और अपने पूर्वजों (पितरो) का श्राद्ध कर्म, पूजन तर्पण करता है, तो ऐसे गृहस्थ उसी गति को प्राप्त करता है, जिसकी प्राप्ति बड़े-बड़े सन्यासियों को प्राप्त होती है.
यह बातें शहर के टाउनहाल मैदान में श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन वृंदावन के कथा वाचक राधेश्याम जी शास्त्री ने कहा. उन्होंने अष्टम स्कंध में गज और ग्राह प्रसंग सुनाते हुए बताया कि हाथी जीव है. ग्राह- काल है, और सरोवर संसार है. यह हर मानव जीवन की कथा है. हाथी एक सरोवर में स्नान करता है. उसमें रहने वाला काल रूपी ग्राह उसके पैरों को पकड़ लेता है. हाथी अपनी तरफ खींचता है, और ग्राह अपनी तरफ.
हाथी अपने परिवार के पत्नी, बच्चों को सहायता के लिये पुकारता है. लेकिन कोई मदद नहीं करता. अतः जब मनुष्य के ऊपर कालका आक्रमण हो जाता है, तो प्रभु का स्मरण ही एक मात्र सहारा रह जाता है.
“अपवल तपवल और बाहुबल चौथौ है वलदाम सूर किशोर कृपा से सवधल हारे कौ हरिनाम.” कथा क्रम में सागर के मंथन की कथा बताई और वामन भगवान की सुन्दर झांकी के साथ कथा श्रवण कराई.
“ब्राह्मण बनके कृष्ण मुरारी आ गये बलिराज के द्वार ” राजा बलि से वामन भगवान ने तीन पैर भूमिका दान ग्रहण किया. यह सर्वस्व दान है. मत्स्य अवतार के प्रसंग के बाद नवम स्कंध की कथा में पहले सूर्यवंश की चर्चा की बाद में चंद्रवंश की चर्चा की. सूर्य बुद्धि के देव हैं, और चंद्रमा मन के. जब व्यक्ति के मन और बुद्धि दोनों शुद्ध हो जाएगी तभी प्रभु का साक्षात्कार हो जाएगा. सूर्यवंश में श्री रामचंद्र भगवान का अवतार हुआ. सुंदर मार्मिक राम कथा का वर्णन किया. राम कथा तो अनुकरणीय शिक्षा ग्रहण करने के लिए मानस पिता माता गुरु के साथ व्यवहार भाइयों का परस्पर प्रेम ” प्रातः काल उठ के रघुनाथा मात पिता गुरु नावहि माथा ” चंद्रवंश जिसे हरिवंश कहते हैं. इसमें श्री कृष्णचंद्र भगवान का अवतार माँ देवकी पिता वासुदेव के यहां हुआ, और पालन मां यशोदा नंद बाबा के यहां हुआ.
“देन चाहे करतार जिन्हें सुख सो तो प्रवीन टरे नही टारे ” उधम पौरुष किये बिना धन आवत आपहि हाथ पसारे बेटा मयौ बसुदेव धाम दुंदमी बाजे या नन्द के द्वारे” नंद के आनंद भयौ जैय कन्हैया लाल की धूमधाम से श्री कृष्ण जन्म उत्सव मनाया गया. पंडाल के सभी भक्तों नृत्य करने लगे, पुष्पों की वृष्टि होने लगी. बालकृष्ण प्रभु की सुंदर झांकी के साथ साथ माखन मिश्री का वितरण हुआ, एवं बधाइयां लुटाई गई. ” अनोखौ जायौ ललना मैं वेदन में सुन आयी.” सांसद भरत सिंह भी टाउनहाल पहुचकर भागवत भगवान का आशीर्वाद लिया.