22 सितम्बर को विश्व नदी संरक्षण दिवस पर विशेष – नदियों को प्रदूषण मुक्त करने एवं नदी संरक्षण हेतु करना होगा भगीरथ प्रयास

Bariya Ganga Bahav

Please LIKE and FOLLOW बलिया LIVE on FACEBOOK page https://www.facebook.com/BalliaLIVE

डॉ. गणेश पाठक, पर्यावरणविद्

नदियां मात्र जल स्रोत ही नहीं, अपितु मानव सभ्यता एवं संस्कृत का मूलाधार हैं। सभ्यता एवं संस्कृति का विकास नदियों के किनारे ही हुआ है। खासतौर से प्राचीन सभ्यताएं नदी किनारे ही पुष्पित एवं पल्लवित हुई हैं। नदियां हमारी जीवन धारा हैं। यही कारण है कि नदियों को श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता है। खासतौर से भारत में तो नदियों की पूजा की जाती हैं।

गंगा नदी को मां कहा जाता है। जिस तरह से मां हमारा भरण – पोषण करती है,उसी प्रकार नदियां भी अपने जल स्रोतों, नवीन मिट्टियों, परिवहन,कृषि, जीव – जंतुओं को प्रदान हमारा भरण- पोषण करती हैं।   यही कारण है कि नदियों को जीवनदायिनी कहा जाता है। किंतु ये जीवनदायिनी नदियां आज मानव की भोगवादी प्रवृत्ति एवं विलासितापूर्ण जीवन के चलते इस कदर प्रदूषित हो गयी हैं कि इन नदियों जल पीने को कौन कहे, स्नान करने योग्य भी नहीं रह गया है। नदियों के इस गम्भीर प्रदूषण को देखते हुए ही प्रतिवर्ष पूरे विश्व के देशों नदी संरक्षण दिवस मनाया  जाता है और नदियों के प्रदूषण को दूर करने तथा नदियों के संरक्षण हेतु प्रतिवर्ष विविध कार्यक्रमों के साथ जन-जागरूकता अभियान चलाया जाता है।

भारत में नदी जल प्रदूषण एवं नदी संरक्षण –

जहां तक भारत में नदी जल प्रदूषण की बात है तो पूरब से पश्चिम तक एवं उत्तर से दक्षिण तक प्राय: सभी नदियां प्रदूषण का शिकार हो गयी हैं। इनमें कुछ नदियां तो इतनी प्रदूषित हो गयी हैं कि उनका जल स्नान करने लायक भी नहीं रह गया है और ऐसे प्रदूषित नदियों में रहने वाले जलीय जीवों के लिए भी खतरा उत्पन्न हो गया है। भारत में लगभग 19,000 करोड़ घन मीटर जल उपयोग के लिए उपलब्ध है,जिसका 86 प्रतिशत नदियों,झीलों,सरोवरों एवं तालाबों से प्राप्त होता है। नीरी ( नागपुर ) संस्थान के अनुसार अपने देश में उपलब्ध कुल जल का लगभग 90 प्रतिशत भाग प्रदूषित हो चुका है।

योजना आयोग भी इस बात को स्वीकार करता है कि “उत्तर भारत की डल झील से लेकर दक्षिण की पेरियार एवं चालियार नदियों तक तथा पूरब में दामोदर तथा हुगली ज्ञसे लेकर पश्चिम की ढाणा नदी तक जल के प्रदूषण की स्थिति समान रूप से भयावह है”।

अपने देश में नदी जल प्रदूषण का प्रमुख कारण घरेलू बहि:स्राव,कृषि बहिःस्राव, ऊष्मीय या तापीय बहि:स्राव,गैसीय अपशिष्ट एवं रेडियो एक्टिव अपशिष्ट तथा अवपात का नदियों में येन- केन प्रकारेण गिरना है, जिससे ये अपशिष्ट पदार्थ नदियों के जल में मिलकर नदियों के जल को प्रदूषित कर देते हैं और नतीजा यह है कि अब पीने को कौन कहे, नदियों का जल स्नान करने योग्य भी नहीं रह गया है।

वर्तमान समय में भारत की लगभग 70 प्रतिशत नदियां प्रदूषण की दृष्टि से संकट के घेरे में हैं,जिनमें से गंगा,यमुना,दामोदर,सोन, कृष्णा, कावेरी, नर्मदा,माही, गोमती, ताप्ती,चम्बल, पेरियार एवं चालियार प्रमुख रूप से प्रदूषित हो चुकी हैं।

भारत की नदियों में गंगा सबसे प्रदूषित नदी हो गयी है। गंगा बेसिन में देश की लगभग 45 करोड़ जनसंख्या निवास करती है। गंगा बेसिन में लगभग 725 नगर स्थित हैं,जिनमें से  48 प्रथम श्रेणी के नगर हैं एवं 60 द्वितीय श्रेणी के नगर हैं। गंगा नदी के किनारे छोटे – बड़े 425 औद्योगिक कारखाने हैं। प्रतिदिन कारखानों से नि:सृत 5.25 करोड़ गैलन प्रदूषित जल गंगा नदी में गिरकर गंगा नदी के जल को अति प्रदूषित कर रहा है। खासतौर से नगरों से निकलने  वाला सीवेज, औद्योगिक अपशिष्ट एवं गैर- अपघटीय प्लास्टिक में लिपटे प्रसाद भी गंगा नदी में छोड़े जाते है,जिससे गंगा नदी में प्रदूषण को अधिक बढ़ावा मिलता है।

वाराणसी से गुजरने एवं नगर से कच्चे सीवेज की लगभग 32 धाराओं प्राप्त करने के पश्चात गंगा नदी के जल में फेकल कोलीफार्म की सांद्रता 60,000 से बढ़कर 1.5 मिलियन हो जाती है,जिससे 100 मिलियन प्रति 100 मिली का अधिकतम मान प्राप्त हुआ है। फलस्वरूप गंगा जल में पीने एवं स्नान करने से संक्रमण के उच्च जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। यद्यपि वैज्ञानिकों का मानना है कि गंगा नदी का 25 प्रतिशत जल प्रदूषित हो चुका है, किंतु वास्तविकता इससे कहीं अधिक है।

गंगा जल के प्रदूषित होने का मुख्य कारण जैविक एवं रासायनिक पदार्थों से युक्त दूषित जल है,जो नगरों एवं औद्योगिक कारखानों से मिलकर निरन्तर गंगा में मिलता रहता है। एक अनुमान के अनुसार प्रतिदिन कारखानों से नि:सृत 5.25 करोड़ गैलन प्रदूषित जल गंगा में मिलता है। यद्यपि कि गंगा नदी के जल में स्वयं शुद्ध होने की क्षमता है,इसके बावजूद भी यह देश की सबसे अधिक प्रदूषित नदी बन गयी है। गंगा का लगभग 600 किलोमीटर लम्बा भाग सबसे अधिक प्रदूषित है।

बलिया में नदी जल प्रदूषण –

जहां तक बलिया मे नदी जल प्रदूषण की बात है तो बलिया में भी गंगा प्रदूषण से मुक्त नहीं है। गंगा नदी में बलिया नगर सहित गंगा नदी के किनारे स्थित कुछ अधिक आबादी वाले बड़े – बड़े गांवों के नाले गंगा नदी में आकर मिलते हैं। यही नदी कटहल नाले के माध्यम से बलिया नगर  सम्पूर्ण दूषित मल -जल एवं कचरा  भी बिना शोधित किए ही गंगा नदी में गिराया जाता है। मृत मवेशियों का शव भी गंगा नदी में डाला जाता है। गंगा नदी के तट पर होने वाले शव दाह का अपशिष्ट राख आदि को भी अनवरत गंगा में बहाया जाता है।

विडम्बना यह है कि आजादी के 77 वर्ष बाद भी अभी तक बलिया नगर पालिका में एसटीपी नहीं लग पाया है ,जिसके चलते कटहर नाला सहित बलिया नगर के सभी नालों का प्रदूषित मल – जल बिना उपचारित किए ही गंगा नदी में गिराया जाता  है, जिससे गंगा नदी का जल प्रदूषित होता जा रहा है।

कटहल नाले के माध्यम से गंगा नदी गिरने वाले दूषित जल एवं मल – जल को गिराए जाने से गंगा नदी में उत्पन्न प्रदूषण को देखते हुए ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( एन  जी टी) ने अपने एक आदेश में कहा है कि “गंगा में मिलने वाले कटहल नाले में नहीं छोड़ा जाना चाहिए गंदा पानी”। यही नहीं ‘उत्तर – प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड'( यू पी पी सी बी ) द्वारा भी बलिया नगरपालिका एवं उसके अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए बलिया नगर परिषद पर  2.3 करोड़ रूपए का जुर्माना लगाया गया है।

उल्लेखनीय है कि बलिया नगर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट न बनने के कारण जल अधिनियम,1974 के तहत 15 मई, 2024 को मुकदमा दायर किया गया था। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट न लगाए जाने के कारण ही यह जुर्माना लगाया गया है। मुआवजा नहीं भरने पर 29 अगस्त,2024 को यू पी पी सी बी ने बलिया मजिस्ट्रेट को इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी से मुआवजा वसूलने में सहायता करने का अनुरोध किया है। ध्यातव्य है कि यह जानकारी 30 अगस्त,2024 को यू पी पी सी बी द्वारा दाखिल रिपोर्ट में साझा की गयी है। इस रिपोर्ट को एन जी टी द्वारा 17 मई, 2024 को दिए गए आदेश पर कोर्ट में दाखिल किया गया। उल्लेखनीय है कि अभी भी बलिया नगरपालिका से निकलने वाला प्रदूषित जल – मल बिना शोधित किए ही कटहल नाले के माध्यम से गंगा नदी में गिराया जा रहा है।

एक जानकारी  के अनुसार प्रतिक्षण लगभग 500 क्यूसेक गंदा पानी कटहल नाला के माध्यम से गंगा नदी में गिराया जा रहा है। हालांकि अब एस टी पी का निर्माण कार्य प्रगति पर है।

कैसे हो नदियों का संरक्षण –

वैसे तो नदियों के जल को प्रदूषण मुक्त करना एक जटिल प्रक्रिया है तथा नदियों के संरक्षण की भी अनेक प्रक्रियाएं है,जिनको अपनाकर नदियों का संरक्षण किया जा सकता है। किंतु सबसे बड़ी बात तो यही है कि यदि हम नदियों को प्रदूषित ही न करें तो नदियां स्वयं स्वच्छ रहेंगीं।

वैसे नदी संरक्षण हेतु ही संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रति वर्ष सितम्बर के चौथे रविवार को “विश्व नदी संरक्षण दिवस” मनाने की योजना बनाई गयी। वैसे इस दिवस की शुरुआत अन्तर्राष्ट्रीय स्तर प्रसिद्ध  नदी अधिवक्ता मार्क एंजेलो द्वारा की गयी,जिसका मुख्य उद्देश्य नदी जल संसाधनों के बारे में बेहतर देख- भाल हेतु जन- जागरूकता उत्पन्न करने हेतु की गयी। इस वर्ष विश्व नदी संरक्षण दिवस 22 सितम्बर को मनाया जा रहा है। इस दिन 100 से अधिक देशों के लाखों लोगों द्वारा नदियों के विविध मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए सार्वजनिक जागरूकता  बढ़ाने का प्रयास करते हैं। इस दिन नदी संरक्षण हेतु विविध कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। अनेक परियोजनाएं संचालित की जाती हैं, संगोष्ठियों का आयोजन किया जाता है , जागरूकता हेतु शैक्षिक पर्यटनों का आयोजन किया जाता है एवं नदी किनारे जागरूकता फैलाने हेतु समारोह का आयोजन किया जाता है।

नदी संरक्षण हेतु निम्नांकित तथ्यों/ उपायों/ विधियों/ सिद्धांतों को अपनाना कारगर साबित हो सकता है –

* जल की बचत प्रक्रिया को अपनाना चाहिए।

* जल की बर्बादी को रोकना चाहिए।

* जल का दीर्घकालीन उपयोग करना चाहिए।

* नदी जल में प्रदूषणकारी पदार्थों को नहीं डालना चाहिए

* नगरों एवं उद्योगों से नि:सृत प्रदूषित जल बिना उपचारित किए नदी में नहीं छोड़ना चाहिए।

* नदी तलछट की सदैव सफाई करते रहना चाहिए

* नदी किनारों पर कटाव की रोकथाम करनी चाहिए

* नदी जल के प्रदूषण से उत्पन्न दुष्प्रभावों से आम जनता को अवगत  कराना चाहिए।

* नदी जलधारा को सतत प्रवाही बनाए रखना चाहिए।

* नदियों के किनारे एवं जल ग्रहण क्षेत्रों में वृक्षारोपण करना चाहिए।

* नदियों में कूड़ा – करकट नहीं डालना चाहिए।

* नदी जल का आवश्यकतानुसार ही प्रयोग करना चाहिए।

* भविष्य की पीढ़ियों के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए।

सम्पर्क सूत्र- Email- drgkpathakgeo@gmail.com

Breaking News और बलिया की तमाम खबरों के लिए आप सीधे हमारी वेबसाइट विजिट कर सकते हैं.

Website: https://ballialive.in/
Facebook: https://www.facebook.com/BalliaLIVE
X (Twitter): https://twitter.com/ballialive_
Instagram: https://www.instagram.com/ballialive/
Threads: https://www.threads.net/@ballialive

 

अब बलिया की ब्रेकिंग न्यूज और बाकी सभी अपडेट के लिए बलिया लाइव का Whatsapp चैनल FOLLOW/JOIN करें – नीचे दिये गये लिंक को आप टैप/क्लिक कर सकते हैं.

https://whatsapp.com/channel/0029VaADFuSGZNCt0RJ9VN2v

आप QR कोड स्कैन करके भी बलिया लाइव का Whatsapp चैनल FOLLOW/JOIN कर सकते हैं.

ballia live whatsapp channel

This post is sponsored by ‘Mem-Saab & Zindagi LIVE’