हो पूत कपूत भले ही माता नहीं होती कुमाता

रेवती(बलिया)। पुत्र कपूत सकता है, परन्तु माता कभी कुमाता नहीं हो सकती है. उक्त बातें बिहार मीरगंज से पधारे बाल व्यास श्री अरविंद दुबे ने स्थानीय नगर के उत्तर टोला स्थित नवनिर्मित मां दुर्गा प्रांगण में चल रहे नौ दिवसीय शिव शक्ति प्राण प्रतिष्ठात्मक महायज्ञ के छठे दिन प्रवचन मे बोले. कहा कि अगर किसी के पेट पर पैर से मारा जाय तो वह कभी आपकी तरफ पलट कर नहीं देखेगा.

 

लेकिन दुनिया में माता ही एक ऐसी शख्शियत है जो दूध पिलाते समय अपनी संतान द्वारा बार-बार पैर मारे जाने के बाद भी उसे प्यार ही करती है. कहा कि “तन के तंबूरे में सांसो के तार बोले जय सियाराम “अर्थात भक्ति भाव से भगवान को स्मरण किया जाए तो श्रद्धालु भक्त के रोम रोम से भगवन नाम उच्चारण निकलता है. मानस मर्मज्ञ शक्तिपुत्र महाराज ने कहा कि भले ही कोई कितना ही अपना क्यों ना हो परंतु उसके द्वारा आयोजित समारोह में बिन बुलाए नहीं जाना चाहिए. शिव चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान शिव द्वारा माता सती को बार बार समझाया गया कि बिना बुलाए वह राजा दक्ष के यज्ञ में न जाए. श्री श्री शिवेश्वर दास की कथा एवं भजन गायक शशिकान्त मिश्र तथा राजेश जी के भजनों पर भक्तगण देर रात्रि तक भक्ति सागर में गोते लगाते रहे.

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