विकास की आस: समस्याओं की शैय्या पर सोया है घोड़हरा गांव

दुबहड़ (बलिया)। विकास खंड दुबहड़ अन्तर्गत घोड़हरा गांव पिछले दो दशकों से विकास की बाट जोह रहा है. गांव में जगह-जगह कूड़े का अंबार, बजबजाती नालियां, पानी निकासी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. सरकारी योजनाओं के अन्तर्गत शौचालय निर्माण की स्थिति सरकार के स्वच्छता मिशन को मुहं चिढ़ा रही है.

गांव में जर्जर विद्युत तार दुर्घटना को दावत दे रहे हैं. गांव के ग्रामीण जर्जर विद्युत तारों के कारण हमेशा सशंकित रहते हैं.

छात्रनेता सेराज खान ने बताया कि जब से गांव का विद्युतीकरण किया गया तभी से एक बार भी जर्जर एवं पुराने विद्युत तार को कभी नहीं बदला गया. गांव के ग्रामीणों ने कई बार राशन कार्ड के लिए संबंधित औपचारिकताएं पूरी कर आवेदन किया. लेकिन विभागीय अधिकारियों के लापरवाही एवं अकर्मण्यता के कारण आधे अधूरे लोगों का नाम ही खाद्य वितरण की सूची में आया. बहुत अधिक पात्र लोगों का नाम खाद्य वितरण की सूची में नहीं आने से वे राशन से वंचित है.

गांव की गीता देवी ने बताया कि आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण मैं शौचालय बनाने में असमर्थ हूँ. शौचालय के अभाव में मेरी जवान पौत्रियां गांव के बाहर शौच के लिए जाती हैं. जिसके कारण पूरे परिवार सहित उन्हें भी कष्ट होता है, एवं कई प्रकार की आशंका बनी रहती हैं.

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गांव में आंगनबाड़ी केन्द्र से कभी भी किसी गर्भवती महिलाओं को सरकारी योजनाओं की सुविधाएं नहीं प्राप्त होती हैं. प्राथमिक विद्यालय अलमचक सरकारी मेनू के अनुसार मध्याह्न भोजन नहीं बनता है. अभिभावकों ने कहा कि मध्याह्न भोजन बनाने के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है. गांव के विकास के बाबत जब ग्रामप्रधान नफीस अख्तर से पूछा गया तो बताया कि गांव के विकास के लिए शासन प्रशासन को आवश्यकतानुसार विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए लिखा जाता है. जैसे जैसे पैसा आता है कार्य कराया जाता है.

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