लखनऊ। समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री घूरा राम की बृहस्पतिवार तड़के कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हो गई. घूरा राम के पुत्र सन्तोष कुमार ने मीडिया को बताया कि बृहस्पतिवार तड़के चार बजे उनके पिता का लखनऊ की किंगजार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में निधन हो गया.
मूलरूप से बलिया के रसड़ा क्षेत्र के पहाड़पुर गांव के रहने वाले घूरा राम 63 वर्ष के थे. उन्होंने बताया कि घूरा राम को गत 14 जुलाई की देर रात्रि कफ व सांस लेने में दिक्कत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बुधवार को उनकी मेडिकल जांच की रिपोर्ट आयी, जिसमें उनके कोविड-19 से पीड़ित होने की पुष्टि हुई.
उन्होंने बताया कि कल से कफ व रक्तचाप की परेशानी बढ़ी और उनकी हालत बिगड़ गई थी. बसपा संस्थापक कांशीराम के विश्वस्त सहयोगी रहे घूरा राम वर्ष 1993, 2002 और 2007 में जिले की रसड़ा सुरक्षित सीट से विधायक रहे. घूरा राम वर्ष 1984 में बीएस-4 से जुड़े थे. वर्ष 1985 में उन्हें युवा बहुजन समाज पार्टी का बलिया का जिलाध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद वे वर्ष 1990 से वर्ष 1998 तक बसपा के जिलाध्यक्ष भी रहे. वर्ष 1993 में उन्हें रसड़ा विधानसभा से पहली बार बसपा का टिकट मिला और वे विधायक चुन लिए गये. 1995 में घूरा राम को मायावती ने मंत्री बनाते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, प्राविधिक शिक्षा, वैकल्पिक शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी दिये थे.
उनकी पहचान कद्दावर दलित नेता के रूप में होती थी. पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा ने आजमगढ़ की लालगंज (सु) सीट से उन्हें प्रत्याशी बनाया था. अंतिम समय में टिकट कट गया. इसके बाद अखिलेश यादव की मौजूदगी में लखनऊ में सपा की सदस्यता ली थी. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने घूरा राम को दल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया था.