
बांसडीह : ‘मुझसे ही उजाला , मेरे ही कारण हुआ अंधेरा’ – सोच में पड़ गये. कोई बात नहीं. मामला है आम्बेडकर तिराहा पर पांच दिनों से जला ट्रांसफॉर्मर. बिजली विभाग की लापरवाही की हर जगह भर्त्सना हो रही है.
सरकार भी हर सम्भव प्रयास कर रही है कि कहीं भी अंधेरा न रहे, हर घर रोशन रहे. आलम यह है कि आम्बेडकर तिराहा के पास लगा ट्रांसफार्मर अपने हाल पर आंसू बहा रहा है.
दरअसल उक्त ट्रांसफॉर्मर पर क्षमता से अधिक लोड पड़ जा रहा है. अगर विभाग की बात करें तो विभाग को नुकसान नहीं है. फायदा क्या है यह विभाग ही बता पाये. इस क्षेत्र के टांसफार्मर पर दस से अधिक कनेक्शन उद्योग धंधे के हैं.
हर माह करीब पचास हजार रुपये की बिलिंग होती है. आये दिन इस पोल पर लगा बिजली ट्रांसफर जल जाता है. इससे मुहल्लेवासी ही ज्यादातर परेशान हो रहे हैं. लाईट ,पानी आदि सभी चीजें बिजली से ही सम्भव है.
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कब तक रहेगा अंधेरा निजात मिल जाता
आम्बेडकर तिराहा पर जले ट्रांसफार्मर से इलाकाई लोग काफी मायूस हैं. एक तरफ कोरोना वायरस को लेकर जहां सतर्कता बरती जा रही है. हाथ भी धोना है तो 30 सेकेंड तक हाथ में साबुन लगा रहे. ठीक से हाथ धोते रहना है.
आखिर बात बिजली पर आकर अटक जाती है. बिजली नहीं तो पानी नहीं. बिजली रहेगी तो मोटर चलेगा और घर में भी उजाला रहेगा. लोगों में चर्चा है कि कब तक रहेगा यह अंधेरा. काश ! इससे निजात मिल जाती.