निष्काम भाव से श्रीकृष्ण की जप ही है मुक्ति का मार्ग

बलिया। मानव जीवन की सार्थकता इसी में है कि वह मुक्त हो जाय. यदि मनुष्य शरीर से मोक्ष  प्राप्त नहीं हुआ तो फिर कभी भी नहीं हो पायेगा. उक्त बाते  नगवा में पं.परमात्मानन्द चौबे के आवास पर चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान अपने प्रवचन में राजनारायणाचार्य जी महाराज ने कही. कहा कि निष्काम भाव से श्री कृष्ण का जप ही मुक्ति का सुलभ साधन है. इस अवसर पर पं.अश्विनी कुमार उपाध्याय, सुरेन्द्र नाथ चौबे, नितेश शास्त्री, अवध बिहारी चौबे आदि मौजूद रहे.

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