सुखपुरा में बनेगा प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट 16 लाख की धनराशि जारी 

 सुखपुरा में बनेगा प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट 16 लाख की धनराशि जारी 
बलिया. स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत बेरुआरबारी ब्लॉक के सुखपुरा गांव में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई है. इसके लिए पंचायती राज विभाग ने 16 लाख की धनराशि जारी कर दी है. प्लास्टिक कचरे से तैयार सामग्री का उपयोग सड़क निर्माण में किया जाएगा.

इसके लिए जिले का पहला प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित करने के लिए बेरुआरबारी ब्लॉक के सुखपुरा गांव में जमीन चिह्नित कर कार्य शुरु कराया गया है. पंचायती राज विभाग की ओर से संबंधित ग्राम पंचायत को कार्य कराने के लिए 16 लाख की धनराशि भी जारी कर दी है.

“सुखपुरा में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इसके लिए धनराशि भी जारी कर दी गई है. प्लास्टिक कचरे से मुक्ति दिलाने में यह संयंत्र मील का पत्थर साबित होगा”. – यतेंद्र सिंह, डीपीआरओ, बलिया

प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण से गांवों को बचाने की कवायद शुरु हो चुकी है. इसके लिए प्लास्टिक कचरे का निस्तारण अब पंचायत स्तर पर करने की तैयारी चल रही है. प्लास्टिक मुक्त अभियान के तहत यह संभव हो रहा है. शुरुआत में ब्लॉक स्तर पर प्लास्टिक प्रोसेसिंग यूनिट को बनाया जाएगा. यूनिट के निर्माण की जिम्मेदारी संबंधित ग्राम पंचायत को दी गई है.

इस यूनिट पर आसपास के गांवों के प्लास्टिक कचरे को मंगाकर उसकी प्रोसेसिंग की जाएगी. अधिकारियों ने बताया कि पंचायत स्तर पर प्लास्टिक एकत्र करने के लिए जो संग्रहण केंद्र बने हैं वहां से कचरे को प्लास्टिक प्रोसेसिंग यूनिट लाया जाएगा. इसमें सबसे अधिक कचरा प्लास्टिक बोतल के अलावा चिप्स कुरकुरे आदि के रैपर होंगे जिसे लोग संग्रहण केंद्रों में रखेंगे .

प्लास्टिक डस्ट की होगी सड़क निर्माण करने वाले एजेंसी को बिक्री
प्लांट में प्लास्टिक को अलग-अलग तरीके से प्रोसेस करने के लिए तीन तरह की मशीनें लगाई जाएंगी. हमारे आस-पास सात प्रकार का प्लास्टिक कचरा मौजूद हैं. इसके लिए यहां बेलिंग मशीन, डस्ट रिमूवर और कटर मशीन लगाया जाएगा. हार्ड प्लास्टिक को बेलिंग मशीन से कंप्रेश किया जाएगा. इसके साथ ही डस्ट रिमूवर से गंदगी बाहर निकालने की व्यवस्था होगी.
कटर मशीन से सिंगल यूज प्लास्टिक को छोटे टुकड़े में काटा जाएगा जो डस्ट रूप में होगा. जिला पंचायत राज अधिकारी ने बताया कि यूनिट से निकलने वाले प्लास्टिक डस्ट की बिक्री सड़क निर्माण करने वाले एजेंसी को की जाएगी. प्लास्टिक को तारकोल में मिलाकर सड़कें बनाई जाएंगी, जो पहले से अधिक मजबूत होंगी और उनमें पानी रोकने की क्षमता अधिक होगी.

पर्यावरण सुधार के साथ रोजगार भी मिलेगा
प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिए गंभीर संकट बन चुका है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक सबसे अधिक प्रदूषण प्लास्टिक कचरा से हो रहा है. दस फीसदी प्लास्टिक कचरा ही री-साइकिल किया जाता है जबकि 90 फीसदी कचरा पर्यावरण के लिए नुकसानदेह साबित होता है. इसी को देखते हुए सरकार ने पंचायत स्तर पर इस योजना को शुरू किया है. इस यूनिट से ग्रामीणों को रोजगार भी मुहैया कराया जाएगा.