बैरिया (बलिया)। उरी के आतंकवादी हमले के बाद पूरे देश व समाज की आम प्रतिक्रिया तो यही है कि भारत पाकिस्तान पर हमला करे और उसे उसकी औकात बताये. कुछ ऐसी ही सोच बैरिया क्षेत्र के अवकाश प्राप्त सैनिक रखते हैं. उनका दो टूक मानना है कि अब किसी भी हाल में अगले आतंकवादी कारनामे की प्रतीक्षा किए बिना पाक की नापाक हरकतों को जड़ से समाप्त करने के लिए भारत सरकार को आक्रामक होना चाहिये. एक एक कर बीतता दिन इस मामले को ठंडा करेगा और फिर पाक अपनी हरकतों से बाज आने वाला नहीं हैं.
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इस सन्दर्भ में बैरिया के अवकाश प्राप्त सैनिक संगठन के रिटायर्ड सैनिकों से बात की गई तो सबके बयान जुदा-जुदा रहे, लेकिन पाकिस्तान को उसकी औकात बताने व अब शान्ति के लिए युद्ध आवश्यक सभी ने बताया. सन् 1971 ई. में छम्ब सेक्टर में टी-55 टैंक के साथ गए आर्म्ड कोर के रिटायर्ड सूबेदार शारदानन्द सिंह का कहना है कि अब तक तो सरकारें शान्ति के सारे प्रयास किए. जब शान्ति के सारे रास्ते बन्द हो जाए, तो शान्ति के लिए भी युद्ध आवश्यक हो जाता है और अब वह समय आ चुका है. महान इंसान व महान देश की पहचान है कि वह शान्तिपूर्ण निपटारे का मार्ग पहले तलाशता है. लेकिन भारत ने तो सारी कोशिशें कर लीं. इसे भी पढ़ें – उरी के शहीदों में बलिया के राजेश कुमार यादव भी
वहीं रिटायर्ड सूबेदार मेजर अखिलेश्वर सिंह, जो बैरिया सैनिक संगठन के अध्यक्ष भी हैं, का कहना है कि पाकिस्तान की हरकतें कायराना हैं. कायर सिद्धान्त पर नहीं टिकते. 1993, 2001, 26/11, पठानकोट, गुरुदासपुर और उरी इन सब के पीछे पाकिस्तान ही तो है. वह तो हमारे शान्ति के प्रयासों का माखौल उड़ा रहा है. यह अवसर तो पूरी तैयारी के साथ पाक को सबक सिखाने का है.
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वहीं राजपूत रेजीमेन्ट से रिटायर हवलदार धीरेन्द्र प्रताप सिंह का मनना है कि जवाबी कार्रवाई में अधिक विलम्ब नहीं करना चाहिए. देर होने पर मामला ठंडा पड़ेगा और पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आने वाला नहीं है.
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कैप्टन परशुराम ओझा का मानना है कि पाक की तुलना में हमारी सैन्य शक्ति दुगुने से भी अधिक है. हमारे सैनिकों का मनोबल न टूटने पाये इस बात का ख्याल भी भारत सरकार को करना चाहिये.
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रिटायर्ड फ्लाइंग आफीसर जगरोपन वर्मा का कहना है कि पाकिस्तान पोषित आतंकवादी हर रोज नये नये नुकसान की रचना कर रहे है. अब सिर्फ सुरक्षात्मक नहीं, आक्रामक होने का समय है.
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वहीं रिटायर्ड सुबेदार मेजर कन्हैया शर्मा का कहना है कि अब तो एक मात्र विकल्प युद्ध ही बचा हैं. सारे पूर्व सैनिक एक तरफ जहां आवश्यकता पड़ी तो खुद युद्ध में बिना किसी वेतन के जाने के लिये तैयार है, वहीं इस बात पर भी एक मत हैं कि पाकिस्तान अब आतंकवादियों की उंगली पर नाचने वाला कठपुतली देश बन गया है. ऐसे में उससे किसी भी प्रकार का वार्ता, समझौता या मैत्री मूर्खता के अलावा कुछ नही हैं. वह देश भरोसा के काबिल नहीं रहा. केन्द सरकार को पाकिस्तान के खिलाफ अन्तर्राष्ट्रीय राय को प्रभावित करने के प्रयासों को जारी रखते हुए ऐसी रणनीति बनानी चाहिये कि सुरक्षाबल आतंकवादियों के आसान निशाने पर न हों और जवाबी कार्रवाई आक्रामक हो.
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