
बैरिया,बलिया. प्राथमिक विद्यालय में नाम लिखवाने के लिए अपने फुफेरे भाई के साथ साइकिल से गए आठ वर्षीय बालक की साइकिल पलट कर गहरे तलाब में गिर जाने से मौत हो गई. डूब रहे फुफेरे छोटे भाई को विद्यालय में तैनात शिक्षा मित्र ने जान जोखिम में डालकर तलाब से जिंदा निकाला.
यह दर्दनाक घटना बैरिया थाना क्षेत्र के सोनबरसा गांव की है.कमलेश यादव का आठ वर्षीय पुत्र विक्की यादव अपने फुफेरे भाई पांच वर्षीय आदित्य यादव को अपनी साइकिल पर बैठाकर प्राथमिक विद्यालय सोनबरसा गया था. उसने विद्यालय में तैनात अध्यापकों से अपना नाम लिखने को कहा.
अध्यापकों ने अभिभावक को लेकर विद्यालय में आने के लिए विक्की को कहा. विक्की विद्यालय से निकल कर अपने फुफेरे भाई को साइकिल पर पीछे बैठाकर जाने लगा कि विद्यालय से कुछ ही दूरी पर उसकी साइकिल पलट गई और दोनों बच्चे साइकिल समेत तलाब में गिर गए.
विक्की डूब चुका था, पांच वर्षीय आदित्य को डूबते देख उस रास्ते से जा रही एक लड़की ने शोर मचाना शुरू किया.शोरगुल सुनकर उक्त प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षामित्र सुबेख सिंह जान जोखिम में डालकर तलाब में छलांग लगा दिये और आदित्य को जिंदा बचाकर अस्पताल ले गये.
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आदित्य के होश आते ही उसने बताया कि उसके साथ विक्की भैया भी थे, वह भी डूब रहे थे, पूछा कि वह कहां है. इतना सुनना था कि ग्रामीण दौड़कर तलाब के पास पहुंचकर तालाब में घुसकर विक्की को तलाशने लगे लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी.
ग्रामीण विक्की को सोनबरसा अस्पताल ले गए जहां ड्यूटी पर तैनात डाक्टर अविनाश कुमार से बिक्की के इलाज के लिए कहा, लेकिन आरोप है कि इलाज में बिलम्ब हुआ जिससे विक्की की मौत हो गयी. इसके बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने अस्पताल में जमकर तोड़फोड़ किया.
घटना की सूचना पर एसएचओ राजीव कुमार मिश्र मय फोर्स अस्पताल पहुच गए.अस्पताल में आक्रोशित ग्रामीणों को समझा बुझाकर मामला शांत किया.परिजनों ने ड्यूटी पर तैनात चिकित्साधिकारी डाक्टर अविनाश कुमार के खिलाफ पुलिस को तहरीर दिया है जबकि डाक्टर अविनाश का कहना है कि अस्पताल का सीसीटीवी कैमरा देखा जा सकता है, मैंने बिना समय गंवाए बच्चे का चेकअप किया, वह अस्पताल आने के पहले ही मर चुका था.
सवाल बच्चे के परिजनों के रवैये पर भी उठ रहे हैं कि कैसे उन्होंने 8 साल और 5 साल के बच्चों को एडमिशन के लिए भेज दिया और इतनी बड़ी घटना पर भी उन्हें खबर नहीं लगी. दोनों भाई तालाब में साथ गिरे थे और उनके साथ कोई बड़ा व्यक्ति रहा होता तो दोनों बच्चों को समय रहते निकाल लिया गया होता और शायद विक्की जैसा होनहार बच्चा शायद जीवित रहा होता. 8 साल की उम्र में ही उसने खुद स्कूल जाकर अपना एडमिशन कराने की कोशिश की, इससे समझा जा सकता है कि वह बच्चा काफी तेज-तर्रार था.
(बैरिया से वीरेंद्र मिश्र की रिपोर्ट)