अखिल भारतीय घोष दिवस व महाशिवरात्रि के मौके पर बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर पर शिवरंजनी कार्यक्रम का हुआ आयोजन
50 से अधिक घोष कार्यकर्ताओं ने विभिन्न वाद्यों पर किया प्रदर्शन
टाउन हॉल के मैदान में प्रथम और द्वितीय सरसंघचालक व भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि से हुआ शुभारंभ
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के के पाठक, बलिया
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया नगर के विद्यार्थी कार्य विभाग के आयोजकत्व में अखिल भारतीय घोष दिवस व महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवरंजनी कार्यक्रम के अंतर्गत बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर पर घोष कार्यकर्ताओं ने विभिन्न वाद्यों प्रणव, आनक, शंख, झल्लरी, वंशी एवं तूर्य पर विभिन्न रचनाओं का सामूहिक वादन किया, जिसमें घोष दल के पचास से अधिक कार्यकर्ताओं ने घोष का प्रदर्शन किया.
सर्वप्रथम टाउन हॉल के मैदान में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बलिया के जिला प्रचारक विशाल व कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बलिया नगर के नगर संघचालक बृजमोहन द्वारा प्रथम सरसंघचालक पूज्य डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार, द्वितीय सरसंघचालक पूज्य माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ‘श्री गुरुजी’ व भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. कार्यक्रम में घोष के विभिन्न रचनाओं के प्रदर्शन के साथ ही ध्वजारोपणम, ध्वज प्रणाम एवं ध्वजावतरण के संगत भी रचनाओं का वादन किया गया.
उपस्थित स्वयंसेवकों द्वारा पूर्ण गणवेश में शहर के टाउन हॉल के मैदान से संचलन निकाला गया जो ओकडेनगंज चौकी, सेनानी उमाशंकर सिंह चौराहा, चौक, सिनेमा रोड, हनुमानगढ़ी होते हुए बालेश्वर मंदिर पर पहुंचा जहां शिवरंजनी का वादन किया गया. तत्पश्चात वहां से वापस संचलन करते हुए टाउन हॉल पहुंच कर कार्यक्रम का समापन हुआ.
इस अवसर पर उद्बोधन में मुख्य वक्ता जिला प्रचारक विशाल ने बताया कि हमारे देश में हजारों वर्ष पूर्व महाभारत युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने पांचजन्य और धनुर्धारी अर्जुन ने देवदत्त बजाकर विरोधी दल को विचलित कर दिया था. भगवान कृष्ण के समान वंशीवादक संसार में कोई हुआ नहीं, अतः हमें इन वाद्यों पर ऐसी रचनाएँ तैयार करनी चाहिए जिनमें अपने देश की नाद परंपरा की सुगंध हो.
भारतीय संगीत मन, आत्मा और शरीर को आनंद और शांति प्रदान करता है.
संघ में घोष के इतिहास का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि संघ में घोष की यात्रा 1927 से प्रारंभ हुई. शुरुआत में शंख, बंसी और आनक जैसे मूल वाद्यों पर वादन शुरू हुआ.
संघ के स्वयंसेवकों द्वारा अपने अथक प्रयासों से शास्त्रीय रागों के आधार पर रचनाओं का निर्माण किया गया. उन्होंने बताया कि 1982 के एशियाड खेलों में शिवराज भूप रचना का वादन हुआ था जिसका निर्माण संघ के कार्यकर्ताओं ने किया है.
घोष दल को विद्यार्थी कार्य विभाग के शारीरिक शिक्षण प्रमुख श्रेयांश ने संचालित किया. अतिथियों का परिचय विद्यार्थी कार्य प्रमुख विवेक ने कराया.
इस अवसर पर बलिया विभाग के विभाग प्रचारक तुलसीराम, जिला कार्यवाह हरनाम सिंह, नगर प्रचारक अविनाश, डॉ. सन्तोष तिवारी, उमापति, डॉक्टर संतोष तिवारी, उमेश, मारुति नन्दन, बाल्मीकि, नमन, रामबदन सिंह, विनय सिंह आदि के साथ सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता स्वयंसेवक बन्धु उपस्थित थे.
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