बैरिया, बलिया. विधानसभा बैरिया से कांग्रेस छोड़ किसी भी राजनीतिक दल द्वारा प्रत्याशी घोषित नही किये जाने से सिर्फ व सिर्फ कयासो का दौर ही फिलहाल दिख रहा है. हर कोई अपने चाहने वाले व समर्थित पार्टी के संभावित उम्मीदवारों के यहां फोन कर यह जानने को बेताब है कि टिकट की दौड़ में कौन आगे चल रहा है.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि किसी भी पार्टी के संभावित उम्मीदवार को पहले अपने दल के टिकट के दौर में समानांतर चल रहे टिकट मांगने की फौज के साथ ही संघर्ष जारी है बाद में फिर आमने सामने की पार्टी उम्मीदवार के साथ मुकाबला होगा. नामांकन की तिथि जैसे जैसे नजदीक आती जारही है वैसे वैसे संभावित उम्मीदवार व उनके समर्थकों की धड़कन तेज होती जा रही है. सभी राजनैतिक दलों के टिकटार्थियों की दौड़ लखनऊ व दिल्ली के बीच अनवरत जारी है. क्षेत्र में उनके समर्थक उनकी उपस्थिति दमदारी से दर्ज कराने व उनके द्वारा बैरिया विधान सभा मे कराये गये विकास कार्यों का बखान दमदारी से किया जा रहा है. परंतु टिकट फाइनल न हो पाने से समर्थको का भी धैर्य जबाब देता दिख रहा है. द्वाबा विधान सभा जो अब परिवर्तित नाम बैरिया विधानसभा हो गया उस विधानसभा में चुनावी मौसम में इतना सन्नाटा पहले कभी नहीं दिखता था. परंतु तू डाल- डाल मैं पात-पात की तर्ज पर टिकटों का बंटवारा चुनावी बिसात पर मोहरों को बिछाने जैसा ही है. वैसे चुनाव में टिकटों का बंटवारा देरी से होना कोई नई बात नही है. पहले भी टिकट का अनाउंसमेंट पर्चा दाखिला के बीच भी होता रहा है. नामांकन तिथि जैसे जैसे नजदीक आता जा रहा है संभावित प्रत्याशी व उनके समर्थकों की बेचैनी बढ़ती जा रही है.
(बैरिया से शशि सिंह की रिपोर्ट)