–जिले के अमर शहीदों , सेनानी उमाशंकर सोनार, शहीद सूरज लाल को किया याद
–भारतमाता की जय, वंदेमातरम के नारों से गूंज उठा नगर
बलिया. वह तारीख जिसने बलिया को पूरे देश से पांच वर्ष पहले स्वराज की सरकार का स्वाद चखाकर स्वतंत्रता संग्राम की अग्रिम पंक्ति में खड़ा कर दिया. उस जनक्रांति की 80 वीं बरसी पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कल्याण परिषद के मंत्री, शिवकुमार सिंह कौशिकेय के नेतृत्व में अगस्त क्रांति उत्सव का परम्परागत जुलूस शहीद पार्क चौक से वंदेमातरम , भारतमाता की जय के नारे लगाते हुए निकाला गया. जो चौक से सेनानी उमाशंकर स्मारक चौराहा, रेलवे स्टेशन होते हुए क्रांति मैदान टाऊनहाल पहुंच कर विसर्जित हुआ.
ज्ञातव्य है कि 1942 में जब अंग्रेजों भारत छोड़ों आन्दोलन आरंभ हुआ था. उस समय कांग्रेस के सभी छोटे- बड़े नेताओं को ब्रिटिश सरकार ने जेल में बंद कर दिया था.
बलिया जिले के कांग्रेस नेता ठाकुर जगन्नाथ सिंह, चित्तू पाण्डे , राधामोहन सिंह, महानंद मिश्र, तारकेश्वर पाण्डेय आदि जेल में बंद थे. ब्रिटिश सरकार की पुलिस ने आन्दोलन को रोकने के लिये दहशत का वातावरण बना रखा था.
ऐसे चुनौतीपूर्ण हालात में सेनानी उमाशंकर सोनार और अमर शहीद सूरज प्रसाद ने चौक से जुलुस निकाला जो बलिया रेलवे स्टेशन पहुंचा , वहाँ उमाशंकर जी ने ट्रेन से उतरे छात्रों से जुलुस में शामिल होने की अपील किया. टीन के भोंपू से नारे लगाते, भाषण देते हुए शहर के सभी स्कूल और बाजार को बंद कराया गया था. कामरेड विश्वनाथ प्रसाद मरदाना के नेतृत्व में मालगोदाम के मजदूर शामिल हुए थे.
यह बलिया जिले में आजादी छीनने की जंग का आगाज जुलुस था, जिसने बलिया को बयालीस में आजाद करा दिया था. यह अलग बात है कि तत्कालीन कलेक्टर जगदीश्वर निगम और एसपी रियाजुद्दीन अहमद की साजिश में फंस कर सैकड़ों वीरों के बलिदान से मिली आजादी को हम मिदनापुर की तरह अपनी आजादी को बरकरार नहीं रख सके थे. मात्र चौदह दिन में ही जंग, जीत, स्वराज, सुराज और फिर ब्रिटेन का कब्जा हो गया था.
इस ऐतिहासिक महत्व के जुलुस में परिषद के सदस्य योगेन्द्र प्रसाद गुप्ता, डॉ. दिनेश शंकर यादव, डॉ. राजकुमार गुप्ता, सेनानी उत्तराधिकारी विनोद तिवारी , कौशल कुमार गुप्त, सरदार श्रवण सिंह , शिवमंदिर शर्मा, सागर सिंह राहुल, विरेन्द्र गुप्त, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, रंगकर्मी अभय सिंह कुशवाहा, पंकज कुमार, पूर्व नगर अध्यक्ष भाजपा राजेश कुमार गुप्ता की उपस्थिति उल्लेखनीय रही.
(बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट)